लखनऊ. 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती के मामले में प्रयागराज (इलाहाबाद) हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ योगी सरकार ने चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस राजेश सिंह चौहान की डिविजन बेंच में विशेष अपील दायर की है।
जिस पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 27 नवम्बर की तिथि निर्धारित कर दी है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अपील पर महाधिवक्ता बहस करेंगे लेकिन आज वह मौजूद नहीं हैं। इसलिए मामले की सुनवाई टाल दी गई।
यह है पूरा मामला
प्रदेश में 68,500 पदों पर सहायक शिक्षकों की भर्ती हुई है। इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सोनिका देवी व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। बीते एक नवंबर को सुनवाई करते हुए एकल पीठ के जस्टिस इरशाद अली ने पूरी प्रकिया की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। कोर्ट ने जांच के लिए छह माह का समय दिया था। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने के मामले में महाधिवक्ता से पूछा था कि राज्य सरकार इस मामले में सीबीआई जांच कराने को तैयार है अथवा नहीं। जिस पर महाधिवक्ता ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया था।
अब सरकार ने डिवीजन बेंच के सामने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए 1 नवंबर के आदेश को रद करने की मांग की है। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गयी है कि पूरी भर्ती प्रकिया पारदर्शी थी और इसमें कहीं किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। यह भी कहा गया है कि कोर्ट के कहने पर सरकार ने स्वयं एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उससे जांच करने को कहा था, ऐसे में सीबीआई से जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है।
जिस पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 27 नवम्बर की तिथि निर्धारित कर दी है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अपील पर महाधिवक्ता बहस करेंगे लेकिन आज वह मौजूद नहीं हैं। इसलिए मामले की सुनवाई टाल दी गई।
यह है पूरा मामला
प्रदेश में 68,500 पदों पर सहायक शिक्षकों की भर्ती हुई है। इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सोनिका देवी व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। बीते एक नवंबर को सुनवाई करते हुए एकल पीठ के जस्टिस इरशाद अली ने पूरी प्रकिया की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। कोर्ट ने जांच के लिए छह माह का समय दिया था। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने के मामले में महाधिवक्ता से पूछा था कि राज्य सरकार इस मामले में सीबीआई जांच कराने को तैयार है अथवा नहीं। जिस पर महाधिवक्ता ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया था।
अब सरकार ने डिवीजन बेंच के सामने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए 1 नवंबर के आदेश को रद करने की मांग की है। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गयी है कि पूरी भर्ती प्रकिया पारदर्शी थी और इसमें कहीं किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। यह भी कहा गया है कि कोर्ट के कहने पर सरकार ने स्वयं एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उससे जांच करने को कहा था, ऐसे में सीबीआई से जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है।