हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है. न्यायालय ने 68,500 पदों पर सहायक शिक्षक भर्ती में कथित गड़बड़ी की सीबीआई (CBI) जांच के एकल पीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है.
इसके साथ ही न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले में दर्ज एफआईआर पर फिलहाल कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि भर्ती प्रकिया पारदर्शी व निष्कलंक है. इसमें किसी प्रकार का आपराधिक साजिश नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एकल पीठ ने अपने आदेश में बिना किसी साक्ष्य के भर्ती में भ्रष्टाचार होना करार दे दिया, जो कि उचित नहीं था. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ अभ्यर्थियों के मामले में परीक्षकों से गलती हो गई थी, जिसे ठीक कर लिया गया था. इसके बाद सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं था. उनका कहना था कि एकल पीठ ने बिना तथ्यों को ठीक से समझे ही सीबीआई जांच का आदेश पारित कर दिया. इसलिए उक्त आदेश ठहरने योग्य नहीं है.
इस पर डिवीजन बेंच ने सहमत होते हुए सीबीआई के वकील से पूछा कि क्या सीबीआई ने जांच प्रारम्भ कर दी है. वकील ने बताया कि फिलहाल एफआईआर दर्ज हो गई है, रिकार्ड प्राप्त होते ही जांच प्रारम्भ की जाएगी. इस पर न्यायालय ने सीबीआई को जांच प्रकिया आगे बढ़ाने से रोक दिया.
वहीं बार कोडिंग करने वाली एजेंसी मैंनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने भी एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध अपील दाखिल की थी, लेकिन न्यायालय ने महाधिवक्ता के तर्कों पर ही एकल पीठ के आदेश को स्टे कर दिया. उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने 1 नवम्बर को सहायक शिक्षक भर्ती 2018 में प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार होने की बात कहते हुए सीबीआई को जांच के आदेश दिए थे.
इसके साथ ही न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले में दर्ज एफआईआर पर फिलहाल कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि भर्ती प्रकिया पारदर्शी व निष्कलंक है. इसमें किसी प्रकार का आपराधिक साजिश नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एकल पीठ ने अपने आदेश में बिना किसी साक्ष्य के भर्ती में भ्रष्टाचार होना करार दे दिया, जो कि उचित नहीं था. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ अभ्यर्थियों के मामले में परीक्षकों से गलती हो गई थी, जिसे ठीक कर लिया गया था. इसके बाद सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं था. उनका कहना था कि एकल पीठ ने बिना तथ्यों को ठीक से समझे ही सीबीआई जांच का आदेश पारित कर दिया. इसलिए उक्त आदेश ठहरने योग्य नहीं है.
इस पर डिवीजन बेंच ने सहमत होते हुए सीबीआई के वकील से पूछा कि क्या सीबीआई ने जांच प्रारम्भ कर दी है. वकील ने बताया कि फिलहाल एफआईआर दर्ज हो गई है, रिकार्ड प्राप्त होते ही जांच प्रारम्भ की जाएगी. इस पर न्यायालय ने सीबीआई को जांच प्रकिया आगे बढ़ाने से रोक दिया.
वहीं बार कोडिंग करने वाली एजेंसी मैंनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने भी एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध अपील दाखिल की थी, लेकिन न्यायालय ने महाधिवक्ता के तर्कों पर ही एकल पीठ के आदेश को स्टे कर दिया. उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने 1 नवम्बर को सहायक शिक्षक भर्ती 2018 में प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार होने की बात कहते हुए सीबीआई को जांच के आदेश दिए थे.