लखनऊ विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर रोक हटाने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद आरक्षण पर रार फिर बढ़ सकती है। खास बात यह है कि हाई कोर्ट ने आदेश भी उसी गोरखपुर विश्वविद्यालय में भर्ती रुकने को लेकर दिए हैं, जहां पर आरक्षित वर्ग की सर्वाधिक अनदेखी का आरोप था।
यूजीसी
ने 19 जुलाई को आदेश जारी कर सभी केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में
शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी थी। भर्ती पर रोक कुछ शिक्षक संगठनों के साथ ही
कई राज्यों के सांसदों की शिकायत के बाद लगी थी। विभाग को ही इकाई मानकर
दोबारा भर्ती शुरू होने से आरक्षण की अनदेखी के सवाल फिर मुखर हो सकते हैं।
...इसलिए उठा था विवाद
विश्वविद्यालयों में 2006 से आरक्षण का रोस्टर लागू है। इसमें विश्वविद्यालय को इकाई मानकर आरक्षण ओबीसी और एससी-एसटी के लिए लागू किया जाता था। इस प्रक्रिया में कभी-कभी कुछ विभागों के सभी पद आरक्षित हो जाते थे। बीएचयू के एक अभ्यर्थी विवेकानंद तिवारी की याचिका पर पिछले साल 7 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे रद कर दिया। उन्होंने कहा कि विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाए। इस साल 5 मार्च को यूजीसी ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू करने व भर्ती के निर्देश जारी कर दिए। इसके बाद से यूपी में स्थिति सभी केंद्रीय व राज्य विवि में शिक्षकों की भर्ती शुरू हो गई। आरोप लगा कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों की अनदेखी हो रही है। दो-तिहाई पद अनारक्षित संवर्ग को चले जा रहे हैं। राजनीतिक दबाव के बाद यूजीसी ने भर्ती रोकने का आदेश जारी कर दिया और साथ ही हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। पांच महीने बाद भी एमएचआरडी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं तलाश सका है। इधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूजीसी का आदेश रद कर भर्ती करने को कह दिया है।
लखनऊ सहित कई विवि में खुलेगी भर्ती की राह
हाई कोर्ट के भर्ती से रोक लगाने के बाद शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कई राज्य विश्वविद्यालयों में भर्ती की राह साफ होने की उम्मीद है। लखनऊ विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय, राममनोहर लोहिया विवि के साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद में भी शिक्षक भर्ती रुक गई थी। लखनऊ, जौनपुर, इलाहाबाद राज्य विवि और अवध विवि फैजाबाद में तो कुछ विभागों में इंटरव्यू के बाद लिफाफे खोले जाने बस बाकी थे।
ऐसे बनते-बदलते रहे नियम
...इसलिए उठा था विवाद
विश्वविद्यालयों में 2006 से आरक्षण का रोस्टर लागू है। इसमें विश्वविद्यालय को इकाई मानकर आरक्षण ओबीसी और एससी-एसटी के लिए लागू किया जाता था। इस प्रक्रिया में कभी-कभी कुछ विभागों के सभी पद आरक्षित हो जाते थे। बीएचयू के एक अभ्यर्थी विवेकानंद तिवारी की याचिका पर पिछले साल 7 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे रद कर दिया। उन्होंने कहा कि विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाए। इस साल 5 मार्च को यूजीसी ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू करने व भर्ती के निर्देश जारी कर दिए। इसके बाद से यूपी में स्थिति सभी केंद्रीय व राज्य विवि में शिक्षकों की भर्ती शुरू हो गई। आरोप लगा कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों की अनदेखी हो रही है। दो-तिहाई पद अनारक्षित संवर्ग को चले जा रहे हैं। राजनीतिक दबाव के बाद यूजीसी ने भर्ती रोकने का आदेश जारी कर दिया और साथ ही हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। पांच महीने बाद भी एमएचआरडी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं तलाश सका है। इधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूजीसी का आदेश रद कर भर्ती करने को कह दिया है।
लखनऊ सहित कई विवि में खुलेगी भर्ती की राह
हाई कोर्ट के भर्ती से रोक लगाने के बाद शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कई राज्य विश्वविद्यालयों में भर्ती की राह साफ होने की उम्मीद है। लखनऊ विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय, राममनोहर लोहिया विवि के साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद में भी शिक्षक भर्ती रुक गई थी। लखनऊ, जौनपुर, इलाहाबाद राज्य विवि और अवध विवि फैजाबाद में तो कुछ विभागों में इंटरव्यू के बाद लिफाफे खोले जाने बस बाकी थे।
ऐसे बनते-बदलते रहे नियम
- 7 अप्रैल 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि विभाग को यूनिट मानकर लागू हो आरक्षण, एमएचआरडी सुप्रीम कोर्ट गया लेकिन राहत नहीं मिली
- 6 सितंबर 2017 को एमएचआरडी ने यूजीसी से कहा कि कमिटी बना आदेश का करें परीक्षण
- 7 नवंबर 2017 को यूजीसी ने एमएचआरडी को भेजी अपनी सिफारिश
- 5 मार्च को यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों से कहा कि विभागों को ही यूनिट मान लागू करें आरक्षण
- 20 अप्रैल को यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को दी स्पेशल लीव पिटिशन दायर करने की जानकारी
- 18 जुलाई को संसद में उठा आरक्षण प्रभावित किए जाने का मामला
- 19 जुलाई को यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से कहा कि रोक दें भर्ती
- 30 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूजीसी का आदेश निरस्त कर फिर भर्ती शुरू करने को कहा