लखनऊ : प्राइमरी स्कूल की शिक्षिकाओं को नया काम सौंपा गया है। इसमें वह घर-घर दस्तक देकर महिलाओं से टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल करा रही हैं। वहीं विद्यालयों की कक्षाएं शिक्षामित्रों के भरोसे चल रही हैं।
महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए डोर-टू-डोर अभियान चलाया जा रहा है। नारी सशक्तीकरण अभियान के तहत विभिन्न विभागों की 11-11 महिला कर्मियों का समूह बनाया गया है। ऐसे में 27 नवंबर से जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की प्राइमरी स्कूल की शिक्षिकाएं, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा बहू, महिला कांस्टेबल आदि कर्मियों को घर-घर भ्रमण करना है। इस दौरान सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी देनी है। साथ ही एक टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल कराने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा तीन-चार ग्राम सभाओं पर एक नारी शक्ति शिविर लगाने के अलावा 20 दिसंबर को प्रस्तावित नारी स्वावलंबन सम्मेलन के लिए बुलावा भी देना है। ऐसे में शिक्षिकाएं स्कूल में पढ़ाने के बजाए डोर-टू-डोर भ्रमण कर रही हैं। उधर, अधिकारी सुबह नौ बजे से पहले व शाम तीन बजे के बाद शिक्षिकाओं के नारी शक्ति कार्यक्रम का कार्य करने का हवाला दे रहे हैं, जबकि हकीकत उलट है।
महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए डोर-टू-डोर अभियान चलाया जा रहा है। नारी सशक्तीकरण अभियान के तहत विभिन्न विभागों की 11-11 महिला कर्मियों का समूह बनाया गया है। ऐसे में 27 नवंबर से जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की प्राइमरी स्कूल की शिक्षिकाएं, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा बहू, महिला कांस्टेबल आदि कर्मियों को घर-घर भ्रमण करना है। इस दौरान सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी देनी है। साथ ही एक टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल कराने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा तीन-चार ग्राम सभाओं पर एक नारी शक्ति शिविर लगाने के अलावा 20 दिसंबर को प्रस्तावित नारी स्वावलंबन सम्मेलन के लिए बुलावा भी देना है। ऐसे में शिक्षिकाएं स्कूल में पढ़ाने के बजाए डोर-टू-डोर भ्रमण कर रही हैं। उधर, अधिकारी सुबह नौ बजे से पहले व शाम तीन बजे के बाद शिक्षिकाओं के नारी शक्ति कार्यक्रम का कार्य करने का हवाला दे रहे हैं, जबकि हकीकत उलट है।