संघर्ष के साथियों नमस्कार।।साथियों आज हमारे केस की सुनवाई प्रशान्त चन्द्रा जी से हुई जिसमें उन्होंने चिपके हुए पेज के ओरिजिनल पेज को लाकर कोर्ट का संशय दूर कर दिया और जज साहब ने तुरंत ही कह
दिया कि there is no need to send this paper for forensic lab उसके बाद ही वादी पक्ष के अधिवक्ता के चेहरों की हवाई उड़ गई।। फिर बीटीसी की तरफ से सीनियर अधिवक्ता अनिल तिवारी जी ने काफी शानदार बहस के साथ कोर्ट को समझाया कि बीएड को यह लोग uneligible कह रहे हैं जबकि एनसीटीई ने इनको परमिट किया है और 6माह का ब्रिज कोर्स सरकार 2 साल के अंदर सरकार कभी भी करवा देगी औऱ आज तक इनलोगों ने कोर्ट को गुमराह किया है बीएड पर बहस करके,जबकि मुद्दा कट ऑफ का है।।फिर 68500 और इस भर्ती 69000 की तुलना की बात समझा दी कि यह दोनों भर्तियां अलग हैं और अलग अलग टाइम दोनों परीक्षाओ में था तथा पेपर का बेस भी अलग था और बड़े अच्छे तरीके से पैटर्न को समझाया कि बहुविकल्पीय औऱ लिखित परीक्षा में कितना अंतर होता है।।
उनका कहना था कि लिखित की अपेक्षा बहुविकल्पीय परीक्षा आसान होती है।।इसके पहले वादी पक्ष के अधिवक्ता उपेन्द्र मिश्र ने इसी बात को लेकर कोर्ट को गुमराह किया था कि बहुविकल्पीय ज्यादा कठिन होती है।।कोर्ट काफी सहमत थी आज अनिल तिवारी जी की बहस से।।फिर बताया कि सरकार को यह राइट है कि समय समय पर न्यूनतम पासिंग मार्क decide कर सकती है ।।
इसके बाद तिवारी जी ने 3 बजे का टाइम ले लिया फिर बीएड पक्ष से आनन्द मणि त्रिपाठी जी ने एनसीटीई के गजट और kvs के नोटिफिकेशन को दिखाया जिसमे बीएड एलिजिबल है फिर सुप्रीम कोर्ट के 97/105के मुद्दे को समझाया जिसमे की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए खुद सुप्रीम कोर्ट ने नियम बदला था।।आनन्द मणि त्रिपाठी जी की बहस के बाद वादी पक्ष के उपेन्द्र मिश्रा ने फिर से मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स को लेकर कोर्ट को गुमराह किया लेकिन कोर्ट सहमत नही दिखाई दी।।उपेंद्र मिश्रा जी की बहस के बाद एकबार फिर से बीटीसी की तरफ से अनिल तिवारी जी ने कोर्ट को मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स पर समझाया और फिर जब जज साहब ने उनसे पूछा कि कितना टाइम चाहिए तो 20 मिनट बोले।।चूंकि टाइम ज्यादा हो गया था और तिवारी जी की बहस भी पूरी नही हो पाई थी तो जज साहब ने कल 3 बजे का टाइम निर्धारित किया जिसमें केवल बीटीसी के और वादी पक्ष के एल पी मिश्रा(उपेन्द मिश्रा की बहस खत्म हो चुकी है) 10 मिनट बोलेंगे।।जबकि वादी पक्ष के एल पी मिश्रा साढ़े तीन बजे का टाइम मांग रहे थे।।
दोस्तो कुछ लोग डेट लग जाने से परेशान हैं सोचो अगर आज फॉरेंसिक लैब पेपर भेज दिया जाता तो कमसेकम एक महीना लग जाता।।लेकिन सत्य परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नहीं।।आज कोर्ट रूम में मेरे साथ टीम के पंकज जी मौजूद थे ।।jai singh जी और लोग कोर्ट के बाहर साथियो का मनोबल बढ़ा रहे थे।।
नोट::: पोस्ट में लिखी बाते अक्षरसः सत्य हैं।
अखिलेश कुमार शुक्ल
बीएड मोर्चा लखनऊ
दिया कि there is no need to send this paper for forensic lab उसके बाद ही वादी पक्ष के अधिवक्ता के चेहरों की हवाई उड़ गई।। फिर बीटीसी की तरफ से सीनियर अधिवक्ता अनिल तिवारी जी ने काफी शानदार बहस के साथ कोर्ट को समझाया कि बीएड को यह लोग uneligible कह रहे हैं जबकि एनसीटीई ने इनको परमिट किया है और 6माह का ब्रिज कोर्स सरकार 2 साल के अंदर सरकार कभी भी करवा देगी औऱ आज तक इनलोगों ने कोर्ट को गुमराह किया है बीएड पर बहस करके,जबकि मुद्दा कट ऑफ का है।।फिर 68500 और इस भर्ती 69000 की तुलना की बात समझा दी कि यह दोनों भर्तियां अलग हैं और अलग अलग टाइम दोनों परीक्षाओ में था तथा पेपर का बेस भी अलग था और बड़े अच्छे तरीके से पैटर्न को समझाया कि बहुविकल्पीय औऱ लिखित परीक्षा में कितना अंतर होता है।।
इसके बाद तिवारी जी ने 3 बजे का टाइम ले लिया फिर बीएड पक्ष से आनन्द मणि त्रिपाठी जी ने एनसीटीई के गजट और kvs के नोटिफिकेशन को दिखाया जिसमे बीएड एलिजिबल है फिर सुप्रीम कोर्ट के 97/105के मुद्दे को समझाया जिसमे की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए खुद सुप्रीम कोर्ट ने नियम बदला था।।आनन्द मणि त्रिपाठी जी की बहस के बाद वादी पक्ष के उपेन्द्र मिश्रा ने फिर से मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स को लेकर कोर्ट को गुमराह किया लेकिन कोर्ट सहमत नही दिखाई दी।।उपेंद्र मिश्रा जी की बहस के बाद एकबार फिर से बीटीसी की तरफ से अनिल तिवारी जी ने कोर्ट को मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स पर समझाया और फिर जब जज साहब ने उनसे पूछा कि कितना टाइम चाहिए तो 20 मिनट बोले।।चूंकि टाइम ज्यादा हो गया था और तिवारी जी की बहस भी पूरी नही हो पाई थी तो जज साहब ने कल 3 बजे का टाइम निर्धारित किया जिसमें केवल बीटीसी के और वादी पक्ष के एल पी मिश्रा(उपेन्द मिश्रा की बहस खत्म हो चुकी है) 10 मिनट बोलेंगे।।जबकि वादी पक्ष के एल पी मिश्रा साढ़े तीन बजे का टाइम मांग रहे थे।।
दोस्तो कुछ लोग डेट लग जाने से परेशान हैं सोचो अगर आज फॉरेंसिक लैब पेपर भेज दिया जाता तो कमसेकम एक महीना लग जाता।।लेकिन सत्य परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नहीं।।आज कोर्ट रूम में मेरे साथ टीम के पंकज जी मौजूद थे ।।jai singh जी और लोग कोर्ट के बाहर साथियो का मनोबल बढ़ा रहे थे।।
नोट::: पोस्ट में लिखी बाते अक्षरसः सत्य हैं।
अखिलेश कुमार शुक्ल
बीएड मोर्चा लखनऊ