प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में फर्जी
डिग्री से नौकरी पाने का मामला सामने आया है। प्रयागराज के विभिन्न स्कूलों
में तैनात 7 टीचरों के शैक्षिक दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। फर्जी मार्कशीट
लगाकर नौकरी करने वाले सभी 7 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर
दिया गया है और खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन सभी के
विरूद्ध एफआईआर दर्ज करा कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
साथ ही इन्हें अब तक किया गया भुगतान भी रिकवर किया जाए। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज संजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि जिन शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है उनके खिलाफ फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हथियाने का पुष्टि हुई है। उनके शैक्षणिक दस्तावेज की प्रमाणिकता जांचने का कार्य चल रहा था। सत्यापन के दौरान संबंधिात 7 टीचरों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं, जिसके आधार पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है और तत्काल प्रभाव से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
किस पर हुई कार्रवाई
फर्जी
मार्कशीट लगाकर नौकरी करने वालों के विरुद्ध संबंधित थानों में एफआईआर
दर्ज होगी। फिलहाल, बर्खास्तगी की कार्रवाई जिन पर हुई है उनमें रमेश चंद
साहू, मोहम्मद तौहीद, मुआज्जम आलम, विजय कुमार, सुनील कुमार, उपासना देवी
और नयन सिंह शामिल हैं।
2016 से कर रहे थे नौकरी
शिक्षा विभाग की ओर से हुए खुलासे में जिन टीचरों को बर्खास्त किया गया है, वह सभी 2016 से नौकरी कर रहे थे। इन सभी टीचरों के पास लखनऊ यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट थी, जिसे लगाकर इन्होंने नौकरी पाई थी और 2016 से यह प्रयागराज के विभिन्न स्कूलों में नौकरी कर रहे थे। शिक्षा विभाग पिछले 3 सालों से इन्हें वेतन और सुविधा दे रहा था। हालांकि, अब जब इनके फर्जी मार्कशीट का खुलासा हुआ है तो शिक्षा विभाग ने इन पर कार्रवाई की है। हालांकि, यहां सवाल यह है कि शिक्षा विभाग में आंतरिक रुप से होने वाली शैक्षणिक सर्टिफिकेट को जांचने की प्रक्रिया में यह पकड़ में क्यों नहीं आया था, जबकि नौकरी मिलने के बाद शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणिकता जांची जाती है।
15 हजार टीचर भर्ती का मामला
गौरतलब
है कि वर्ष 2016 में 15 हजार शिक्षक भर्ती के तहत प्राथमिक विद्यालयों में
सहायक अध्यापक के पद इनकी नियुक्ति हुई थी। उसी भर्ती में यह टीचर भी
नौकरी पा गए थे। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज संजय कुमार कुशवाहा के
अनुसार लखनऊ विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र एवं अन्य दस्तावेज
लगाकर नौकरी हासिल की थी। जांच में लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से स्पष्ट कर
दिया गया कि इनके दस्तावेज विश्वविद्यालय में उपलब्ध रिकॉर्ड से मेल नहीं
खाते हैं। इन सभी सातों शिक्षकों को 20 जून तक बीएसए के समक्ष व्यक्तिगत
रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने और सही दस्तावेज दिखाने को कहा गया था,
जिसमें 20 जून को 3 शिक्षक बीएसए कार्यालय में उपस्थित हुए, लेकिन किसी के
पास दस्तावेज नहीं थे। जिस पर उनके विरूद्ध कार्रवाई की गई है।
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साथ ही इन्हें अब तक किया गया भुगतान भी रिकवर किया जाए। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज संजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि जिन शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है उनके खिलाफ फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हथियाने का पुष्टि हुई है। उनके शैक्षणिक दस्तावेज की प्रमाणिकता जांचने का कार्य चल रहा था। सत्यापन के दौरान संबंधिात 7 टीचरों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं, जिसके आधार पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है और तत्काल प्रभाव से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
किस पर हुई कार्रवाई
2016 से कर रहे थे नौकरी
शिक्षा विभाग की ओर से हुए खुलासे में जिन टीचरों को बर्खास्त किया गया है, वह सभी 2016 से नौकरी कर रहे थे। इन सभी टीचरों के पास लखनऊ यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट थी, जिसे लगाकर इन्होंने नौकरी पाई थी और 2016 से यह प्रयागराज के विभिन्न स्कूलों में नौकरी कर रहे थे। शिक्षा विभाग पिछले 3 सालों से इन्हें वेतन और सुविधा दे रहा था। हालांकि, अब जब इनके फर्जी मार्कशीट का खुलासा हुआ है तो शिक्षा विभाग ने इन पर कार्रवाई की है। हालांकि, यहां सवाल यह है कि शिक्षा विभाग में आंतरिक रुप से होने वाली शैक्षणिक सर्टिफिकेट को जांचने की प्रक्रिया में यह पकड़ में क्यों नहीं आया था, जबकि नौकरी मिलने के बाद शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणिकता जांची जाती है।
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