श्रम सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाते हुए श्रम मंत्रालय अगले सप्ताह वेतन संहिता विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रख सकता है। एक सूत्र ने कहा कि मंत्रालय संसद के मौजूदा सत्र में इस विधेयक को पारित कराना चाहता है।
यह विधेयक पारित होने के बाद कई उद्योगों में देशभर में एक समान वेतन की व्यवस्था लागू हो सकती है।पिछले महीने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह विधेयक निरस्त हो गया था। मंत्रालय को अब विधेयक को संसद के किसी भी सदन में नए सिरे से पेश करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुमति की जरूरत होगी। सूत्र ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल वेतन संहिता विधेयक पर अगले महीने मंजूरी दे सकता है। श्रम मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कराना चाहता है।’ इससे पहले विधेयक को 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसे 21 अगस्त, 2017 को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट 18 दिसम्बर, 2018 को सौंपी थी।वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। यह निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार संहिताएं हैं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध हैं। वेतन संहिता विधेयक, मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 , बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा।विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे और खनन समेत कुछ क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी जबकि राज्य अन्य श्रेणी के रोजगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस वेतन संहिता विधेयक में कम वेतन दिये जाने की स्थिति में जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान भी होगा। यदि कोई नियोक्ता तय मजदूरी से कम का भुगतान करता है तो उसपर भारी जुर्माना लगेगा। इसके अलावा अगर नियोक्ता दुबारा यही गलती करता है तो उसे सजा के साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा।
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यह विधेयक पारित होने के बाद कई उद्योगों में देशभर में एक समान वेतन की व्यवस्था लागू हो सकती है।पिछले महीने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह विधेयक निरस्त हो गया था। मंत्रालय को अब विधेयक को संसद के किसी भी सदन में नए सिरे से पेश करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुमति की जरूरत होगी। सूत्र ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल वेतन संहिता विधेयक पर अगले महीने मंजूरी दे सकता है। श्रम मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कराना चाहता है।’ इससे पहले विधेयक को 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसे 21 अगस्त, 2017 को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट 18 दिसम्बर, 2018 को सौंपी थी।वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। यह निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार संहिताएं हैं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध हैं। वेतन संहिता विधेयक, मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 , बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा।विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे और खनन समेत कुछ क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी जबकि राज्य अन्य श्रेणी के रोजगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस वेतन संहिता विधेयक में कम वेतन दिये जाने की स्थिति में जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान भी होगा। यदि कोई नियोक्ता तय मजदूरी से कम का भुगतान करता है तो उसपर भारी जुर्माना लगेगा। इसके अलावा अगर नियोक्ता दुबारा यही गलती करता है तो उसे सजा के साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा।
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