प्रदेश में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने पर विचार करे सरकार, विधान परिषद में पीठ ने दिया आदेश, माध्यमिक शिक्षा विभाग की मुश्किल बढ़ी

प्रदेश में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने पर विचार करे सरकार, विधान परिषद में पीठ ने दिया आदेश, माध्यमिक शिक्षा विभाग की मुश्किल बढ़ी

 विधान परिषद की पीठ ने सरकार को
माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत दस हजार से अधिक
तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने के मामले में उचित
निर्णय लेने का आदेश दिया है। इस आदेश से
माध्यमिक शिक्षा विभाग की मुश्किल बढ़ गई है।
उधर, नेता सदन ब उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने
कहा कि सरकार इस मामले में गुण-दोष के आधार
पर विचार कर निर्णय लेगी।

दरअसल, 23 जुलाई को शिक्षक दल के सदस्य
उमेश द्विवेदी, चेत नारायण सिंह, कांति सिंह और राज
बहादुर सिंह चंदेल ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत तदर्थ
शिक्षकों को नियमित करने का मुदृदा उठाया था। उनका
कहना था कि बीती 9 मार्च को उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश
शर्मा के साथ हुई बैठक के बाद तदर्थ शिक्षकों को
नियमित करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने को
अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की
गई थी। समिति ने जनवरी 2001 से नियुक्त तदर्थ
शिक्षकों के नियमित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन
सरकार ने निर्णय नहीं लिया है।शिक्षक दल की मांग के
बाद पीठ के अधिष्ठाता देवेंद्र प्रताप सिंह ने तदर्थ
शिक्षकों को यथाशीघ्र नियमित करने की व्यवस्था दी।
यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसे शिक्षकों व
प्रधानाध्यापकों के पदों का अधियाचन न भेजा जाए।
अधिष्ठाता की व्यवस्था के बाद नेता सदन व
अधिष्ठाता में देर तक संवाद हुआ। अंत में अधिष्ठाता
ने सरकार को उचित निर्णय लेने का आदेश दिया। इस
आदेश से माध्यमिक शिक्षा विभाग की मुश्किल बढ़ गई
नेता सदन : तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने के प्रस्ताव
पर सरकार ने बार-बार विचार किया un -दोष के
आधार पर सरकार इस पर यथासंभव लेगी।
अधिष्ठाता : राजकोष से वेतन पाने वाले अद्यतन कार्यरत
तदर्थ शिक्षकों का नियभितीकरण सरकार यथाशीघ्र
सुनिश्चित कराए। यह भी सुनिश्चित कराए कि ऐसे
शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का अधियाचन न भेजा जाए।
नेता सदन : शासन aw के आधार पर कार्यवाही करता
है। अगर कोई गलती है तो पीठ उसे निर्देशित कर सकती है।
पीठ किसी विधिक और एग्जिक्यूटिव निर्णय नहीं दे सकती
है। पीठ शासन को विचार करने के लिए कह सकती है।
अधिष्ठाता : सरकार विनियमितिकरण की कार्यवाही
सुनिश्चित कराने का निर्णय ले। पीठ से व्यवस्था आ गई
है, अब इसका सरकार सम्मान करे।

नेता सदन : पीठ के निर्णय शिरोधार्य होते हैं, लेकिन
सरकार को पीठ निर्देशित नहीं कर सकती है।

अधिष्ठाता : सरकार व्यवस्था देतो है और पीठ से दो गई
व्यवस्था का कोई भी सरकार सम्मान नहीं करेगी तो इससे
गलत संदेश जाएगा। पीठ को सरकार पर पूरा भरोसा है,
सरकार विचार कर निर्णय ले।

है कि तदर्थ शिक्षकों को नियमित किया जाए या नहीं।
अब तदर्थ शिक्षकों का भी सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

लार्ड मैकाले की शिक्षा

प्रणाली को बदले सरकार

लखनऊ। विधान परिषद में सपा के
सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने oe
शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजों
बताते हुए दोषपूर्ण करार दिया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षा
प्रणाली ने उपयोगिता खो दी है
इसलिए उसे बदला जाना चाहिए।
शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि छात्रों के
ज्ञान का मूल्यंकन तीन घंटे को
परीक्षा द्वारा करना अत्यंत दोषपूर्ण है।
छात्रों को अपने विद्यालय से
दूसरे विद्यालय के सेंटर से
कराना छात्रों की विश्वसनीयता से
खिलवाड़ करने जैसा है। उन्होंने
कहा कि विद्यार्थी डरे सहमे रहते हैं,
वे ठीक से परीक्षा नहीं दे पाते है।
उन्होंने इंटरमीडिएट की दो साल
परीक्षा को एक साल की करने का
सुझाव दिया। नेता सदन दिनेश शर्मा
माना कि आज परीक्षा केबल
डिग्रियां प्राप्त करने के लिए रह गई
है। इसमें वास्तव में सुधार की
जरूरत है। उन्होंने कहा कि परीक्षा
प्रणाली में सरकार ने के कई
तरह के प्रयास एवं ee
। छात्रों को कौशल विकास
योजना के साथ जोड़ा जा रहा है
ताकि के साथ-साथ
रोजगार प्राप्त हो सके ब्यूरो

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