देवरिया। शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा सिर्फ शिक्षक भर्ती तक ही नहीं सिमटा है। जिले में पिछली बार हुए 153 अनुदेशकों की तैनाती में भी जमकर धांधली हुई है। नागालैंड, असम, पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रांतों से जारी शारीरिक शिक्षा, कम्प्यूटर, कला आदि के प्रमाण पत्र लगाकर इनकी तैनाती कर दी गई।
अनुबंध की नौकरी और बाद में बेहतर मानदेय मिलने की आस में ही सैकड़ों अभ्यर्थियों ने इसके लिए विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बदले चढ़ावा भी चढ़ाया। नियमों को धता बताकर इन्हें 100 से कम नामांकन वाले स्कूलों में ही तैनाती भी दे दी गई।
फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच शुरू होने के बाद एक-दूसरे की कलई खुलने लगी है। शिक्षकों के साथ ही वर्ष 2010 से अब तक हुए अनुदेशकों और शिक्षामित्रों की तैनाती भी संदेह के घेरे में आ गई है। इनकी भी तैनाती कराने में संबंधित पटल प्रभारियों ने खूब मनमानी की है। अंतिम बार वर्ष 2015-16 में 153 अनुदेशकों की तैनाती में बड़े पैमाने पर फर्जी अभिलेखों का सहारा लिया गया है। बीएसए कार्यालय के बाबुओं ने प्रक्रिया में अपने सगे-संबंधियों व चहेतों को भी तैनाती दिलाई। चर्चा तो यह भी है कि फर्जी अभिलेख बनवाने में इनकी मदद भी विभागीय लोगों ने ही की।
चयन प्रक्रिया की फाइल ही गायब
विभागीय सूत्रों की मानें तो उस दौरान अनुदेशकों के चयन प्रक्रिया की फाइल ही विभाग से गायब हो गई है। उस दौरान जो जिला समन्वयक यह चयन प्रक्रिया देख रहे थे, उन्होंने फाइल किसको सौंपी, इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। वर्तमान पटल प्रभारी के पास यह फाइल ही नहीं है। जब तक विभागीय अधिकारी इस फाइल की तलाश नहीं कराते, तब तक इस चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठते रहेंगे।
प्रबंधक की अनुमति के बगैर हो गई दो नियुक्ति
जिले में कई अनुदानित विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के नाम पर गड़बड़ियां की गई हैं। एक अनुदानित विद्यालय में फरवरी 2014 से 2018 के बीच प्रबंधकीय विवाद चल रहा है। रजिस्ट्रार गोरखपुर के यहां यह मामला लंबित भी है। इसी बीच बिना प्रबंधक के अनुमति के ही सितंबर 2015 में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति कर दी गई। जबकि नियमानुसार यह पूरी तरह गलत है। नवंबर 2015 में वहां ही एक सहायक अध्यापिका की भी नियुक्ति हुई। जबकि मामला रजिस्ट्रार के यहां लंबित था।
अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन कराएगा विभाग
देवरिया। फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने के मामले का पर्दाफाश होने के बाद अब बीएसए ने अनुदेशकों के कार्यों के मूल्यांकन का निर्देश दिया है। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में तैनात सभी अंशकालिक अनुदेशकों को कार्यों के मूल्यांकन के लिए 6 अगस्त को सुबह नौ बजे से पुलिस लाइन में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। बीएसए ओमप्रकाश यादव की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट है कि शारीरिक शिक्षा के पद पर कार्यरत अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन पुलिस विभाग के प्रतिसार निरीक्षक के माध्यम से किया जाएगा। जिला व्यायाम शिक्षक संजय सिंह व शिक्षिका शर्मिला यादव को भी मूल्यांकन के दौरान उपस्थित रहने को कहा गया है। बता दें कि सहायक अध्यापक के साथ अनुदेेशक के पदों पर भर्ती में भी धांधली का संदेह जाहिर किया गया है। विभिन्न प्रांतों के संस्थाओं से जारी शारीरिक शिक्षा के फर्जी प्रमाण पत्रों का सहारा लेकर चहेतों को स्कूलों में अनुदेशक बना दिया गया है। इसकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम ने सभी अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया है।
अनुबंध की नौकरी और बाद में बेहतर मानदेय मिलने की आस में ही सैकड़ों अभ्यर्थियों ने इसके लिए विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बदले चढ़ावा भी चढ़ाया। नियमों को धता बताकर इन्हें 100 से कम नामांकन वाले स्कूलों में ही तैनाती भी दे दी गई।
फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच शुरू होने के बाद एक-दूसरे की कलई खुलने लगी है। शिक्षकों के साथ ही वर्ष 2010 से अब तक हुए अनुदेशकों और शिक्षामित्रों की तैनाती भी संदेह के घेरे में आ गई है। इनकी भी तैनाती कराने में संबंधित पटल प्रभारियों ने खूब मनमानी की है। अंतिम बार वर्ष 2015-16 में 153 अनुदेशकों की तैनाती में बड़े पैमाने पर फर्जी अभिलेखों का सहारा लिया गया है। बीएसए कार्यालय के बाबुओं ने प्रक्रिया में अपने सगे-संबंधियों व चहेतों को भी तैनाती दिलाई। चर्चा तो यह भी है कि फर्जी अभिलेख बनवाने में इनकी मदद भी विभागीय लोगों ने ही की।
चयन प्रक्रिया की फाइल ही गायब
विभागीय सूत्रों की मानें तो उस दौरान अनुदेशकों के चयन प्रक्रिया की फाइल ही विभाग से गायब हो गई है। उस दौरान जो जिला समन्वयक यह चयन प्रक्रिया देख रहे थे, उन्होंने फाइल किसको सौंपी, इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। वर्तमान पटल प्रभारी के पास यह फाइल ही नहीं है। जब तक विभागीय अधिकारी इस फाइल की तलाश नहीं कराते, तब तक इस चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठते रहेंगे।
प्रबंधक की अनुमति के बगैर हो गई दो नियुक्ति
जिले में कई अनुदानित विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के नाम पर गड़बड़ियां की गई हैं। एक अनुदानित विद्यालय में फरवरी 2014 से 2018 के बीच प्रबंधकीय विवाद चल रहा है। रजिस्ट्रार गोरखपुर के यहां यह मामला लंबित भी है। इसी बीच बिना प्रबंधक के अनुमति के ही सितंबर 2015 में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति कर दी गई। जबकि नियमानुसार यह पूरी तरह गलत है। नवंबर 2015 में वहां ही एक सहायक अध्यापिका की भी नियुक्ति हुई। जबकि मामला रजिस्ट्रार के यहां लंबित था।
अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन कराएगा विभाग
देवरिया। फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने के मामले का पर्दाफाश होने के बाद अब बीएसए ने अनुदेशकों के कार्यों के मूल्यांकन का निर्देश दिया है। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में तैनात सभी अंशकालिक अनुदेशकों को कार्यों के मूल्यांकन के लिए 6 अगस्त को सुबह नौ बजे से पुलिस लाइन में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। बीएसए ओमप्रकाश यादव की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट है कि शारीरिक शिक्षा के पद पर कार्यरत अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन पुलिस विभाग के प्रतिसार निरीक्षक के माध्यम से किया जाएगा। जिला व्यायाम शिक्षक संजय सिंह व शिक्षिका शर्मिला यादव को भी मूल्यांकन के दौरान उपस्थित रहने को कहा गया है। बता दें कि सहायक अध्यापक के साथ अनुदेेशक के पदों पर भर्ती में भी धांधली का संदेह जाहिर किया गया है। विभिन्न प्रांतों के संस्थाओं से जारी शारीरिक शिक्षा के फर्जी प्रमाण पत्रों का सहारा लेकर चहेतों को स्कूलों में अनुदेशक बना दिया गया है। इसकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम ने सभी अनुदेशकों के कार्यों का मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया है।