प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के गड़बड़ी के आरोपी सभी अधिकारी बहाल हो गए, जबकि परीक्षा में अच्छे अंक पाने के बाद भी अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए एक कार्यालय से दूसरे के चक्कर लगा रहे हैं।
सहायक अध्यापक की भर्ती पहली बार मेरिट के बजाय लिखित परीक्षा से हुई थी। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया था कि उनकी कॉपी बदल दी गई। बाद में यह मामला अदालत तक पहुंच गया।
आरोप पत्र दाखिल नहीं होने से अधिकारियों को मिली बहाली
सहायक अध्यापक भर्ती में शासन की जांच के बाद इस भर्ती में गड़बड़ी के आरोपों के घेरे में आए तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह और रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को निलंबित कर दिया गया। शासन की ओर से इस मामले में कोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं करने पर उन्हें बहाल कर दिया गया। आलम यह है कि तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह अपने पूर्व कार्यालय के पास ही सीमैट में सहायक निदेशक के पद पर नियुक्त हो गईं।
पूरी शिक्षक भर्ती मूल्यांकन की लापरवाही की भेंट चढ़ी
प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद पहली बार परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के खाली 68500 पदों पर भर्ती की घोषणा की गई। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भर्ती मेरिट की बजाय लिखित परीक्षा के आधार पर हुई। लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि उन्हें परीक्षा में कम अंक मिले। परिणाम घोषित होते ही परीक्षार्थियों ने विरोध शुरू कर दिया। विरोध के बीच जब परीक्षार्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट में जब सोनिका देवी की कॉपी मंगाई गई तो पता चला कि उसे मिले 122 अंक को बदलकर 22 अंक कर दिए गए थे। कोर्ट की फटकार के बाद इस अभ्यर्थी को तत्काल शिक्षक भर्ती में शामिल करने के साथ नौकरी दी गई।
दोबारा मूल्यांकन में भी लापरवाही, पास को फेल किया
कॉपी बदले जाने का पता चलने के बाद बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट के आदेश पर हुए दोबारा मूल्यांकन के बाद लगभग पांच हजार नए अभ्यर्थियों को नौकरी दी गई। दोबारा मूल्यांकन के बाद भी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की लापरवाही के चलते कुछ अभ्यर्थियों की कॉपी में जब दावे के बाद अंक नहीं बढ़े तो इन परीक्षार्थियों की कॉपी कोर्ट के आदेश पर तीसरी बार जांची गई।
तीसरी बार जांच के बाद नौ ऐसे अभ्यर्थी सामने आए, जिनको कोर्ट ने नियुक्ति देने का आदेश दिया। अप्रैल से कोर्ट का आदेश लेकर यह अभ्यर्थी कभी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी तो कभी निदेशक बेसिक शिक्षा और निदेशक एससीईआरटी के चक्कर लगा रहे हैं।
निदेशक बेसिक की ओर से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास भेजे जाने के बाद भी तीसरी बार मूल्यांकन में सफल अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिल पाई है। अब कोर्ट ने एक बार फिर से सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को इन अभ्यर्थियों को 15 दिन में अंकपत्र जारी करने और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से नियुक्ति पत्र देने को कहा है।
सहायक अध्यापक की भर्ती पहली बार मेरिट के बजाय लिखित परीक्षा से हुई थी। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया था कि उनकी कॉपी बदल दी गई। बाद में यह मामला अदालत तक पहुंच गया।
सहायक अध्यापक भर्ती में शासन की जांच के बाद इस भर्ती में गड़बड़ी के आरोपों के घेरे में आए तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह और रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को निलंबित कर दिया गया। शासन की ओर से इस मामले में कोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं करने पर उन्हें बहाल कर दिया गया। आलम यह है कि तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह अपने पूर्व कार्यालय के पास ही सीमैट में सहायक निदेशक के पद पर नियुक्त हो गईं।
पूरी शिक्षक भर्ती मूल्यांकन की लापरवाही की भेंट चढ़ी
प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद पहली बार परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के खाली 68500 पदों पर भर्ती की घोषणा की गई। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से भर्ती मेरिट की बजाय लिखित परीक्षा के आधार पर हुई। लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि उन्हें परीक्षा में कम अंक मिले। परिणाम घोषित होते ही परीक्षार्थियों ने विरोध शुरू कर दिया। विरोध के बीच जब परीक्षार्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट में जब सोनिका देवी की कॉपी मंगाई गई तो पता चला कि उसे मिले 122 अंक को बदलकर 22 अंक कर दिए गए थे। कोर्ट की फटकार के बाद इस अभ्यर्थी को तत्काल शिक्षक भर्ती में शामिल करने के साथ नौकरी दी गई।
दोबारा मूल्यांकन में भी लापरवाही, पास को फेल किया
कॉपी बदले जाने का पता चलने के बाद बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट के आदेश पर हुए दोबारा मूल्यांकन के बाद लगभग पांच हजार नए अभ्यर्थियों को नौकरी दी गई। दोबारा मूल्यांकन के बाद भी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की लापरवाही के चलते कुछ अभ्यर्थियों की कॉपी में जब दावे के बाद अंक नहीं बढ़े तो इन परीक्षार्थियों की कॉपी कोर्ट के आदेश पर तीसरी बार जांची गई।
तीसरी बार जांच के बाद नौ ऐसे अभ्यर्थी सामने आए, जिनको कोर्ट ने नियुक्ति देने का आदेश दिया। अप्रैल से कोर्ट का आदेश लेकर यह अभ्यर्थी कभी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी तो कभी निदेशक बेसिक शिक्षा और निदेशक एससीईआरटी के चक्कर लगा रहे हैं।
निदेशक बेसिक की ओर से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास भेजे जाने के बाद भी तीसरी बार मूल्यांकन में सफल अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिल पाई है। अब कोर्ट ने एक बार फिर से सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को इन अभ्यर्थियों को 15 दिन में अंकपत्र जारी करने और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से नियुक्ति पत्र देने को कहा है।