गोरखपुर। समायोजन की मांग पर लंबा संघर्ष करने वाले शिक्षामित्रों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ी है। कुशीनगर के शिक्षामित्रों ने इस आंदोलन का आगाज किया है।
जिले के लगभग दो दर्जन से अधिक शिक्षामित्रों ने पड़रौना जूनियर हाईस्कूल में एकत्रित होकर अपने खून से खत लिखे। केन्द्र व प्रदेश सरकार के साथ मानव संसाधन विकास मंत्री को अपने खून से खत लिखने वाले शिक्षामित्रों ने नई शिक्षा नीति में शिक्षा मित्रों को समायोजित करने की मांग की है।
कई शिक्षा मित्र तो ऐसे थे जो एक तरफ अपने खून से खत लिख रहे थे तो दूसरी ओर उनकी आंखें भी नम थीं। अपने खून से खत लिखने वाले शिक्षामित्र नूर आलम का कहना है कि सरकार ने उन्हें ट्रेनिंग देकर अध्यापक बनाया जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी थी लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद उनकी स्थिति खराब हो गई है।
आपको बताते चलें की सपा सरकार ने शिक्षामित्रों को शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया था लेकिन जल्दबाजी में सरकार तमाम नियमों को दरकिनार करती गई जो शिक्षामित्रों के गले की फांस बन गई। हाईकोर्ट ने समायोजन रद्द करते हुए उन्हें टीईटी परीक्षा पास करने की हिदायत दी।
कुछ शिक्षामित्रों ने टीईटी परीक्षा पास कर ली लेकिन बहुत शिक्षामित्र ऐसे हैं जो सरकार द्वारा निर्धारित दो अवसर मिलने के बाद परीक्षा पास नहीं कर सके, ऐसे शिक्षामित्र समायोजन की मांग कर रहे हैं। समायोजन की मांग कर रहे शिक्षामित्रों का आंदोलन चुनाव के पहले तक तो तेज था लेकिन उसके बाद थम सा गया था। अब एक बार फिर शिक्षामित्रों ने आंदोलन की राह पकड़ी और अपने खून से खत लिखकर आंदोलन की शुरुआत भी कर दी है।
जिले के लगभग दो दर्जन से अधिक शिक्षामित्रों ने पड़रौना जूनियर हाईस्कूल में एकत्रित होकर अपने खून से खत लिखे। केन्द्र व प्रदेश सरकार के साथ मानव संसाधन विकास मंत्री को अपने खून से खत लिखने वाले शिक्षामित्रों ने नई शिक्षा नीति में शिक्षा मित्रों को समायोजित करने की मांग की है।
कई शिक्षा मित्र तो ऐसे थे जो एक तरफ अपने खून से खत लिख रहे थे तो दूसरी ओर उनकी आंखें भी नम थीं। अपने खून से खत लिखने वाले शिक्षामित्र नूर आलम का कहना है कि सरकार ने उन्हें ट्रेनिंग देकर अध्यापक बनाया जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी थी लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद उनकी स्थिति खराब हो गई है।
आपको बताते चलें की सपा सरकार ने शिक्षामित्रों को शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया था लेकिन जल्दबाजी में सरकार तमाम नियमों को दरकिनार करती गई जो शिक्षामित्रों के गले की फांस बन गई। हाईकोर्ट ने समायोजन रद्द करते हुए उन्हें टीईटी परीक्षा पास करने की हिदायत दी।
कुछ शिक्षामित्रों ने टीईटी परीक्षा पास कर ली लेकिन बहुत शिक्षामित्र ऐसे हैं जो सरकार द्वारा निर्धारित दो अवसर मिलने के बाद परीक्षा पास नहीं कर सके, ऐसे शिक्षामित्र समायोजन की मांग कर रहे हैं। समायोजन की मांग कर रहे शिक्षामित्रों का आंदोलन चुनाव के पहले तक तो तेज था लेकिन उसके बाद थम सा गया था। अब एक बार फिर शिक्षामित्रों ने आंदोलन की राह पकड़ी और अपने खून से खत लिखकर आंदोलन की शुरुआत भी कर दी है।