शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रदद होने के बाद अब
शिक्षामित्रों की पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है।
पुनर्विचार याचिका के खारिज होने से तीन साल तक सहायक अध्यापक रहे जनपद
हापुड़ के 358 शिक्षामित्रों को झटका लगा है।
यह याचिका शिक्षामित्रों ने समायोजन रदद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। हालांकि अब भी जिले के शिक्षामित्र आगे संघर्ष जारी रखने के दावे कर रहे हैं।सपा कार्यकाल में दुरस्त शिक्षा के माध्यम से बीटीसी कराकर प्रदेश के शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था। यहां जिले के 358 शिक्षामित्रों को भी समायोजित कर सहायक अध्यापक बनाया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उक्त समायोजन को रदद कर दिया था। साथ ही सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षामित्रों को दोबारा से शिक्षामित्र बना दिया था। बाद में उक्त फैसले के विरोध में जिलेभर में शिक्षामित्रों ने हंगामे कर विरोध जताया था। इस फैसले के विरोध में शिक्षामित्र एसोसियेशन के प्रदेश स्तर के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के बाद शिक्षामित्र से तीन साल तक सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका लगा है। इस फैसले पर शिक्षामित्र टकटकी लगाए बैठे थे। आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष संजय कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षामित्र अपने हक को हासिल करके रहेंगे। जिले के समस्त शिक्षामित्र आगे भी संघर्ष जारी रखेंगे। उधर, शिक्षामित्रों के नेता संजीव कुमार ने बताया कि सरकार को शिक्षामित्रों के संबंध में कुछ सोचना चाहिए। शिक्षामित्र मेहनत से स्कूलों में पढ़ाई कराते हैं। इतने कम वेतन में वह अपने परिवार का गुजारा कैसे करे। शिक्षामित्र संघर्ष जारी रखेंगे।-250 से अधिक शिक्षामित्र समायोजित होने का कर रहे थे इंतजारजिला हापुड़ में 358 शिक्षामित्र तो सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित हो गए थे, लेकिन बीटीसी के दूसरे बैच के 250 से अधिक शिक्षामित्र सहायक अध्यापकों के पद पर समायोजित नहीं हुए थे। वह समायोजित होने का इंतजार कर रहे थे। -इनकी सुनिएजिले में 300 से अधिक शिक्षामित्र समायोजित होकर सहायक अध्यापक बने थे। समायोजन रदद होने के बाद जो शिक्षामित्र समायोजित होकर सहायक अध्यापक बने थे वह दोबारा से शिक्षामित्र हो गए थे।-देवेंद्र गुप्ता-बीएसए हापुड़ ---खनक भारद्वाज
यह याचिका शिक्षामित्रों ने समायोजन रदद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। हालांकि अब भी जिले के शिक्षामित्र आगे संघर्ष जारी रखने के दावे कर रहे हैं।सपा कार्यकाल में दुरस्त शिक्षा के माध्यम से बीटीसी कराकर प्रदेश के शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था। यहां जिले के 358 शिक्षामित्रों को भी समायोजित कर सहायक अध्यापक बनाया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उक्त समायोजन को रदद कर दिया था। साथ ही सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षामित्रों को दोबारा से शिक्षामित्र बना दिया था। बाद में उक्त फैसले के विरोध में जिलेभर में शिक्षामित्रों ने हंगामे कर विरोध जताया था। इस फैसले के विरोध में शिक्षामित्र एसोसियेशन के प्रदेश स्तर के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के बाद शिक्षामित्र से तीन साल तक सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका लगा है। इस फैसले पर शिक्षामित्र टकटकी लगाए बैठे थे। आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष संजय कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षामित्र अपने हक को हासिल करके रहेंगे। जिले के समस्त शिक्षामित्र आगे भी संघर्ष जारी रखेंगे। उधर, शिक्षामित्रों के नेता संजीव कुमार ने बताया कि सरकार को शिक्षामित्रों के संबंध में कुछ सोचना चाहिए। शिक्षामित्र मेहनत से स्कूलों में पढ़ाई कराते हैं। इतने कम वेतन में वह अपने परिवार का गुजारा कैसे करे। शिक्षामित्र संघर्ष जारी रखेंगे।-250 से अधिक शिक्षामित्र समायोजित होने का कर रहे थे इंतजारजिला हापुड़ में 358 शिक्षामित्र तो सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित हो गए थे, लेकिन बीटीसी के दूसरे बैच के 250 से अधिक शिक्षामित्र सहायक अध्यापकों के पद पर समायोजित नहीं हुए थे। वह समायोजित होने का इंतजार कर रहे थे। -इनकी सुनिएजिले में 300 से अधिक शिक्षामित्र समायोजित होकर सहायक अध्यापक बने थे। समायोजन रदद होने के बाद जो शिक्षामित्र समायोजित होकर सहायक अध्यापक बने थे वह दोबारा से शिक्षामित्र हो गए थे।-देवेंद्र गुप्ता-बीएसए हापुड़ ---खनक भारद्वाज