गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग प्रेरणा एप को हर हाल में लागू करने की तैयारी
में जुटा है। शिक्षकों के विरोध के बाद शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पाले
में लाने की पहल कारगर न हुई तो अब इटीनरेंट टीचरों (विशेष शिक्षकों) पर
दांव लगाया है। समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने
समेकित शिक्षा योजना से दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए नियुक्त इन
शिक्षकों को साधा है।
बुधवार को विकास भवन सभागार में जिले के 36 विशेष शिक्षकों को बुलाया गया और उन्हें प्रेरणा एप डाउनलोड करा दिया गया। सीडीओ आशीष कुमार ने विशेष शिक्षकों से एप पर आपरेशन कायाकल्प से संबंधित सूचनाओं को अपलोड़ करने का प्रशिक्षण दिया। उन्होने कहा कि स्कूलों में घूम-घूम कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट अपडेट करें।
प्रेरणा एप को परिषदीय स्कूलों में लागू करने के लिए मुख्यमंत्री ने 4
सितंबर को लखनऊ से लॉन्च किया था। 30 अक्टूबर से ही विभाग ने शिक्षकों पर
दबाव बनाया और छुट्टियां आफ लाइन करनी बंद दी। इसके बाद भी जिले में
शिक्षकों ने एप को स्वीकार नहीं किया। कुछ शिक्षकों ने डाउनलोड भी किया और
बताया गया कि 300 के करीब शिक्षकों ने प्ररेणा एप डाउनलोड कर लिया है। इसके
बाद भी एप का संचालन नहीं हो पाया। इसी तरह पूरे प्रदेश में एप का
शिक्षकों ने बहिष्कार जारी रखा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने एप को लागू करने के लिए संविदा पर कार्यरत शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पाले में लाने की कोशिश की। शिक्षामित्र संघ के एक धड़े ने समर्थन भी किया लेकिन विरोध जारी होने से कामयाबी नहीं मिल सकी। इसके बाद अब विभाग ने समेकित शिक्षा योजना से जिले में दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में घूम-घूम कर पढ़ाने वाले विशेष शिक्षकों पर दांव लगाया है। निदेशक के निर्देश पर सीडीओ की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिले में कार्यरत सभी 36 विशेष शिक्षकों को प्रेरणा एप डाउनलोड कराया गया। उन्हे संचालन के तरीके बताए गए और बताया गया है कि स्कूलों के कायाकल्प के लिए वहां की समस्याओं की रिपोर्ट फोटो के साथ ही देनी है।
इसके लिए 10 बिंदु तय किए गए हैं। माना जा रहा है विशेष शिक्षकों की सेवाएं एक-एक वर्ष के लिए होने और फिर नवीनीकरण से विस्तार की व्यवस्था होने व संख्या बल में कम होने से उनको प्रेरणा एप डाउनलोड कराने में विभाग सफल रहा। अब विशेष शिक्षकों के भरोसे स्कूलों का डाटा एकत्र किया जाएगा। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनिराम सिंह का कहना है कि इससे स्कूलों के विकास की योजना तैयार होनी है। समेकित शिक्षा के जिला समन्वयक राजेश सिंह ने बताया कि सभी विशेष शिक्षकों ने एप डाउनलोड़ कर लिया है। एमआईएस प्रभारी जगदीश शरण गुप्त ने तकनीकी जानकारी शिक्षकों दी।
स्कूलों की स्थिति देने पर मिलेंगे 2500 रुपये अतिरिक्त
प्रेरणा एप से जोड़े गए विशेष शिक्षकों को 3139 स्कूलों के स्थिति की रिपोर्ट देनी है। 36 शिक्षक हैं तो एक शिक्षक के जिम्मे 80 से 100 स्कूलों की जिम्मेदारी आई है। एक, दो या तीन महीने में स्कूलों की स्थिति की रिपोर्ट इन्हें देनी होगी। ऑपरेशन कायाकल्प से स्कूलों के विकास की योजना बनाने के लिए स्कूलों का ब्योरा जुटाया जाना अहम है। विशेष शिक्षकों को इस कार्य के एवज में 2500 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। यह राशि उनको कार्य पूरा होने तक मिलता रहेगा।
...तो कौन पढ़ाएगा 4616 दिव्यांग बच्चों को
बेसिक शिक्षा विभाग ने विशेष शिक्षकों को प्रेरणा एप से स्कूलों की खबर लेने की जिम्मेदारी तो सौंप दी लेकिन दिव्यांग बच्चों की फिक्र नहीं की। जिले में 4616 दिव्यांग बच्चों का प्रवेश अलग-अलग स्कूलों में है और उन्हें विशेष शिक्षक ही भ्रमण कर पढ़ाते हैं। ऐसे में सामान्य शिक्षक तो दिव्यांग को ही पढ़ा ही नहीं पाएंगे और अब 36 शिक्षकों को स्कूलों का ब्यौरा लेने में जुटा दिया गया है। ऐसे में दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।
स्कूलों की व्यवस्था में होगा सुधार
स्कूलों के विकास की योजना को बनाने के लिए प्रेरणा एप से स्कूलों की स्थिति ली जानी जरूरी है। इसके लिए विकल्प के तौर पर विशेष शिक्षकों को लगाया गया है। इससे स्कूलों की व्यवस्था में सुधार होगा। -मनिराम सिंह, बीएसए
बुधवार को विकास भवन सभागार में जिले के 36 विशेष शिक्षकों को बुलाया गया और उन्हें प्रेरणा एप डाउनलोड करा दिया गया। सीडीओ आशीष कुमार ने विशेष शिक्षकों से एप पर आपरेशन कायाकल्प से संबंधित सूचनाओं को अपलोड़ करने का प्रशिक्षण दिया। उन्होने कहा कि स्कूलों में घूम-घूम कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट अपडेट करें।
बेसिक शिक्षा विभाग ने एप को लागू करने के लिए संविदा पर कार्यरत शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पाले में लाने की कोशिश की। शिक्षामित्र संघ के एक धड़े ने समर्थन भी किया लेकिन विरोध जारी होने से कामयाबी नहीं मिल सकी। इसके बाद अब विभाग ने समेकित शिक्षा योजना से जिले में दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में घूम-घूम कर पढ़ाने वाले विशेष शिक्षकों पर दांव लगाया है। निदेशक के निर्देश पर सीडीओ की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिले में कार्यरत सभी 36 विशेष शिक्षकों को प्रेरणा एप डाउनलोड कराया गया। उन्हे संचालन के तरीके बताए गए और बताया गया है कि स्कूलों के कायाकल्प के लिए वहां की समस्याओं की रिपोर्ट फोटो के साथ ही देनी है।
इसके लिए 10 बिंदु तय किए गए हैं। माना जा रहा है विशेष शिक्षकों की सेवाएं एक-एक वर्ष के लिए होने और फिर नवीनीकरण से विस्तार की व्यवस्था होने व संख्या बल में कम होने से उनको प्रेरणा एप डाउनलोड कराने में विभाग सफल रहा। अब विशेष शिक्षकों के भरोसे स्कूलों का डाटा एकत्र किया जाएगा। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनिराम सिंह का कहना है कि इससे स्कूलों के विकास की योजना तैयार होनी है। समेकित शिक्षा के जिला समन्वयक राजेश सिंह ने बताया कि सभी विशेष शिक्षकों ने एप डाउनलोड़ कर लिया है। एमआईएस प्रभारी जगदीश शरण गुप्त ने तकनीकी जानकारी शिक्षकों दी।
स्कूलों की स्थिति देने पर मिलेंगे 2500 रुपये अतिरिक्त
प्रेरणा एप से जोड़े गए विशेष शिक्षकों को 3139 स्कूलों के स्थिति की रिपोर्ट देनी है। 36 शिक्षक हैं तो एक शिक्षक के जिम्मे 80 से 100 स्कूलों की जिम्मेदारी आई है। एक, दो या तीन महीने में स्कूलों की स्थिति की रिपोर्ट इन्हें देनी होगी। ऑपरेशन कायाकल्प से स्कूलों के विकास की योजना बनाने के लिए स्कूलों का ब्योरा जुटाया जाना अहम है। विशेष शिक्षकों को इस कार्य के एवज में 2500 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। यह राशि उनको कार्य पूरा होने तक मिलता रहेगा।
...तो कौन पढ़ाएगा 4616 दिव्यांग बच्चों को
बेसिक शिक्षा विभाग ने विशेष शिक्षकों को प्रेरणा एप से स्कूलों की खबर लेने की जिम्मेदारी तो सौंप दी लेकिन दिव्यांग बच्चों की फिक्र नहीं की। जिले में 4616 दिव्यांग बच्चों का प्रवेश अलग-अलग स्कूलों में है और उन्हें विशेष शिक्षक ही भ्रमण कर पढ़ाते हैं। ऐसे में सामान्य शिक्षक तो दिव्यांग को ही पढ़ा ही नहीं पाएंगे और अब 36 शिक्षकों को स्कूलों का ब्यौरा लेने में जुटा दिया गया है। ऐसे में दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।
स्कूलों की व्यवस्था में होगा सुधार
स्कूलों के विकास की योजना को बनाने के लिए प्रेरणा एप से स्कूलों की स्थिति ली जानी जरूरी है। इसके लिए विकल्प के तौर पर विशेष शिक्षकों को लगाया गया है। इससे स्कूलों की व्यवस्था में सुधार होगा। -मनिराम सिंह, बीएसए