69000 शिक्षक भर्ती में अनियमितता,फ़र्ज़ीवाड़ा धांधली को देखकर इसकी न्यायिक जांच उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में होना अति आवश्यक-बंटी पाण्डेय
6 जनवरी 2019 को 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा हुई,और इस परीक्षा में एक दिन पहले ही पेपर आउट होने की खबर सबको मिली जो पूर्णतः सत्य थी।जिसमे यूपी पुलिस और एसटीएफ ने पूरे प्रदेश में छापेमारी करके 28 लोगों को गिरफ्तार भी किया।पेपर और उत्तरकुंजी यूट्यूब-व्हाट्सएप वायरल होने की जो खबर मिली वो भी पूर्णतः सत्य थी।परीक्षा होने के अगले दिन से ही बहुत कैंडिडेट्स ने धांधली का आरोप लगाते हुए इस परीक्षा को रद्द करने की मांग शुरू कर दी।
लिखित परीक्षा होती है 6 जनवरी को हुई थी 7 जनवरी से लोगों ने प्रोटेस्ट करना शुरू किया था।5 जनवरी को ही एक Chandrmohan patel नामक यूट्यूब चैनल से ऑन्सर की वायरल की जाती है।आप समझिए 135 के लगभग सही जवाब जिसके सही हैं इसे तुक्का नहीं कह सकते हैं।उस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में वीडियो अपलोड होने की तारीख 5 जनवरी साफ साफ दिखाई दे रही है।इसके बाद जिस तरह से एसटीएफ ने कई लोगो को पकड़ा,उसके बाद वे लोग जेल गए।उससे धांधली होने की बात साफ-साफ पता चलती है,लेकिन इस पर कहीं कोई जांच सरकार ने नहीं की।7 जनवरी से लोगों ने दो महीने तक प्रोटेस्ट किया।इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की।
हाईकोर्ट ने इस पर सरकार से जवाब भी मांगा, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया।धांधली के मुद्दे ने एक बार फिर रिजल्ट आने के बाद जोर पकड़ा।जब रिजल्ट आया तो कई कैंडिडेट्स की मार्कशीट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। जिसमे 150 में से 130 से लेकर 145 नंबर तक पाने वाले ये कैंडिडेट अंडरग्राउंड होने लगे। मीडिया या अन्य कैंडिडेट्स से बात करने से बचने लगे।इन कैंडिडेट्स का एकेडमिक बैकग्राउंड भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।जिसे देखने पर पता चलता है कि किसी को हाईस्कूल के बाद इंटर पास करने में 4 साल लग गए तो किसी ने ग्रेजुएशन पूरा करने में 7 साल लगा दिए।कई ऐसे लोग हैं जिनके 5 विषय की परीक्षा TET में नंबर आए 100 में 40, 35 नम्बर हैं, जबकि उससे ज्यादा कठिन और 14 विषयों वाले लिखित परीक्षा में 90-95 प्रतिशत अंक आए। जबकि इन दोनों परीक्षाओं के बीच लगभग एक महीने का गैप था।सोशल मीडिया पर वायरल गोरख सिंह के परिवार के 3 सदस्यों की मार्कशीट
सोशल मीडिया पर ऐसी भी कई मार्कशीट वायरल है जिनमें एक ही परिवार के कई लोग पास हुए हैं. सबके लगभग बराबर ही नंबर हैं. जैसे नन्हू यादव के परिवार में तीन लोगों ने परीक्षा दी और तीनों के नंबर हैं, 132, 131 और 128. गोरख सिंह के परिवार में 2 लोगों को 127 और तीसरे को 126 नंबर मिले हैं. 127 नंबर वाले दोनों कैंडिडेट्स का रोल नंबर भी आगे-पीछे ही था।नन्हू यादव के परिवार के 3 सदस्यों की मार्कशीट भी सबके सामने आई। इसी तरह एक ही परिवार में कई सदस्यों के लगभग बराबर नंबर भी सबके सामने आए।कई मार्कशीट वायरल हैं।उनमे से एक राजू पटेल की है, राजू पटेल को लिखित परीक्षा में 140 नंबर मिले हैं।इनकी ऑडियो में जो वायरल हुई है उसमें राजू जुगाड़ के जरिए अपना और अपनी बहन के पास होने की बात करते हैं।लिखित परीक्षा में सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले कैंडिडेट्स अपना मोबाइल ऑफ करके पता नही किस बिल में छुप गए हैं एप्लिकेशन फार्म पर दिया गया उनका नंबर स्विच्ड ऑफ बताता है।रिजल्ट जैसे ही आया ये बात स्वत: साबित हो गई कि परीक्षा में धांधली हुई है।14 सब्जेक्ट्स के पेपर में 143 नंबर पाना लगभग असंभव ही है। पीएनपी (परीक्षा नियामक प्राधिकरण) खुद सारे सवालों का सही जवाब नहीं दे पा रही है।ढेर सारा ऑडियो वायरल हो रहा है। आश्चर्य की बात है ये कि देखिए अब तक किसी कोचिंग वाले ने ये नहीं कहा कि टॉपर हमारी कोचिंग का है।जबकि आमतौर पर रिजल्ट आते ही टॉपर्स के पोस्टर लगने लगते हैं।दूसरी बात ये है कि मीडिया और कई अन्य लोगों ने भी इन टॉपर्स से बात करने की कोशिश की,लेकिन वे बात करने को तैयार नहीं होते।अगर आपने टॉप किया है तो फिर आपको मीडिया से या दूसरे कैंडिडेट्स से बात करने में डर कैसा है?
भ्रष्टाचार और नकल का सरगना चंद्रमा यादव अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ।लोगो का मानना है चन्द्रमा यादव के पकडे जाने पर नकल की पूरी पोल खुल सकती है और हजारो नकलचियो के पकडे जाने की लोग उम्मीद भी जता रहें हैं।लोगो ने यह भी बताया है कि अगर नकल माफिया को इसी तरीके से अप्रत्यक्ष तरीके से शरण और सह मिलता रहा तो यही लोग आगे चलकर के नौकरी की सभी सीटों को भ्रष्टाचार और नकल से अवैध तरीके से सबको नौकरी दिलाने का कार्य करेंगे।यह सब देखते हुए 69000 शिक्षक भर्ती की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में होनी चाहिए।69000 शिक्षक भर्ती में प्रतियोगी छात्र छात्राओं के साथ बहुत नाइंसाफी हुई है उन्होंने आरोप लगाया है कि इस शिक्षक भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली हुई है।उनका आरोप यह भी है कि इस भर्ती प्रक्रिया में सत्ताधारी दल के कुछ लोग शामिल हैं तमाम संचार माध्यमों से सरकार की करतूत सामने आ गई है।उन्होंने मांग की है कि इस इस 69000 शिक्षक भर्ती के महाघोटाले की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के जज के निगरानी में कराई जाए।पूरा शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार की दलदल में फंसा हुआ नजर आरहा है।एक तरफ से अभी 69000 शिक्षक भर्ती में घोटाला सामने आया है और साथ में अब फर्जी शिक्षक वेतन महाघोटाला सामने आ गया है।कई जगह फर्जी शिक्षक पकड़े जा रहे हैं।सत्ता का गिरोह चल रहा है या शिक्षा विभाग में डकैतों का गिरोह चल रहा है क्या इस गिरोह में सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।जिसकी वजह से शिक्षा विभाग में लूट चल रही है जिसका खामियाजा प्रतियोगी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।इस 69000 की CBI जाँच इसलिए आवश्यक हो गयी है क्योंकि लोगो का आरोप यह भी है कि इस 69000 शिक्षक भर्ती में सब कुछ बिकता हुआ नजर आरहा है।लोगो का कहना है कि इस परीक्षा में बिके हैं शिक्षक के पद,बिके हैं गरीब के सपने,बिकी हैं माँ बाप की नींद,बिका है योग्य की आंखों का सपना,बिका है योग्य का सुनहरा भविष्य,बिका है योग्य अभ्यर्थी का शिक्षक बनने का सपना।आखिरकार ये सब जो बिकता हुआ नजर आरहा है,उसकी मुख्य जड़ कौन है।लोगो का आरोप यह भी है कि इस 69000 शिक्षक भर्ती का पेपर 6 जनवरी 2019 को हुआ था लेकिन उत्तरकुंजी और पेपर परीक्षा होने से पहले ही वायरल हो गया था।इस शिक्षक भर्ती की न्यायिक जांच आवश्यक इसलिए हो गयी है क्योंकि प्रतियोगी छात्रों के साथ बहुत अन्याय हो रहा है।लोगो का आरोप यह भी है कि जो अभ्यर्थी इस भर्ती में 143 नम्बर के साथ उत्तीर्ण है उसे अपने राष्ट्रपति तक का नाम नही पता है।इस शिक्षक भर्ती में यदि लखनऊ खंडपीठ की सिंगल बेंच से स्टे नही मिला होता तो आप आंकड़ा
लगाइये ऐसे अध्यापक स्कूलों में पढ़ाते हुए नजर आते जिन्हें राष्ट्रपति तक का नाम नही पता सोचिये वो क्या पढ़ाते।पूरी युवा पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर बना देते।सबसे बड़ा इस भर्ती को लेकर खुलासा भारत समाचार ने किया है कि जो संस्था उत्तर कुंजी को जांचने का कार्य करती है उसका भी इस भर्ती में धांधली कराने में बड़ा हाँथ है।जिसकी एक संस्था प्रयागराज में स्थित है।कुल मिलाकर अभी तक के आंकड़ों का अगर आंकलन किया जाय तो इस शिक्षक भर्ती का रद्द होना सुनिश्चित लग रहा है और पेपर दुबारा कराने के आसार दिखाई दे रहे है यही एक विकल्प सरकार के पास बचा है।
लगाइये ऐसे अध्यापक स्कूलों में पढ़ाते हुए नजर आते जिन्हें राष्ट्रपति तक का नाम नही पता सोचिये वो क्या पढ़ाते।पूरी युवा पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर बना देते।सबसे बड़ा इस भर्ती को लेकर खुलासा भारत समाचार ने किया है कि जो संस्था उत्तर कुंजी को जांचने का कार्य करती है उसका भी इस भर्ती में धांधली कराने में बड़ा हाँथ है।जिसकी एक संस्था प्रयागराज में स्थित है।कुल मिलाकर अभी तक के आंकड़ों का अगर आंकलन किया जाय तो इस शिक्षक भर्ती का रद्द होना सुनिश्चित लग रहा है और पेपर दुबारा कराने के आसार दिखाई दे रहे है यही एक विकल्प सरकार के पास बचा है।