प्रयागराज : शैक्षिक गुणवत्ता, शोध को बढ़ाने व छात्र-छात्रओं को बदलते परिवेश से जोड़ने के उद्देश्य से डिग्री कालेजों में सेमिनार का आयोजन होता रहा है। अलग-अलग विषयों पर हर महीने सेमिनार कराए जाते रहे हैं। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण सेमिनार कराने पर रोक लग गई। सेमिनार की जगह वेबिनार हो रहे हैं। समय की बचत व सुविधा को देखते उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्थिति सामान्य होने के बाद भी डिग्री कालेजों में वेबिनार का कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए कालेजों को जल्द निर्देश भेजे जाएंगे।
सेमिनार कराने के लिए डिग्री कालेजों को उच्च शिक्षा निदेशालय से 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक दिया जाता है। कालेज को कोई भी विषय तय करके उसके विशेषज्ञ को बुलाना होता है। वह संबंधित विषयों पर अपने शोध से आए सार्थक परिणाम से शिक्षकों व छात्रों को अवगत कराते हैं। लेकिन, अधिकतर कालेज सेमिनार के नाम पर खानापूर्ति होती रही है। मनमाना विषय तय करके कोई भी वक्ता बुलाकर सेमिनार की खानापूर्ति कर दी जाती थी। सेमिनार के लिए मिली धनराशि को खाने-पीने, अतिथि को पारिश्रमिक देने, उनके रहने व आने-जाने में खर्च की जाती थी। सेमिनार कराने के लिए कालेज प्रबंधन एक सप्ताह पहले से तैयारी में जुट जाता था। इससे पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। वहीं, वेबिनार में ऐसा कोई झंझट नहीं होता।
विशेषज्ञ अपने घर अथवा दफ्तर से ऑनलाइन अपना व्याख्यान देते हैं। इसके लिए कालेज प्रबंधन को विशेष तैयारी भी नहीं करनी पड़ती। न ही उसे कराने में कोई खर्च आता है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा का कहना है कि वेबिनार हर स्तर पर सुविधाजनक है। छात्र- छात्रओं के साथ कालेज प्रबंधन को इससे काफी सुविधा मिलेगी। इसे देखते सेमिनार की जगह वेबिनार आयोजन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।
वेबसाइट के जरिए होगा प्रसारण
हर डिग्री कॉलेज की अपनी वेबसाइट है। वेबिनार का प्रसारण उसी के जरिए किया जाएगा। इससे जो जहां होगा वहीं उसे देख सकेगा। इसके लिए अतिरिक्त तैयारी भी नहीं करनी पड़ेगी।
सेमिनार कराने के लिए डिग्री कालेजों को उच्च शिक्षा निदेशालय से 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक दिया जाता है। कालेज को कोई भी विषय तय करके उसके विशेषज्ञ को बुलाना होता है। वह संबंधित विषयों पर अपने शोध से आए सार्थक परिणाम से शिक्षकों व छात्रों को अवगत कराते हैं। लेकिन, अधिकतर कालेज सेमिनार के नाम पर खानापूर्ति होती रही है। मनमाना विषय तय करके कोई भी वक्ता बुलाकर सेमिनार की खानापूर्ति कर दी जाती थी। सेमिनार के लिए मिली धनराशि को खाने-पीने, अतिथि को पारिश्रमिक देने, उनके रहने व आने-जाने में खर्च की जाती थी। सेमिनार कराने के लिए कालेज प्रबंधन एक सप्ताह पहले से तैयारी में जुट जाता था। इससे पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। वहीं, वेबिनार में ऐसा कोई झंझट नहीं होता।
विशेषज्ञ अपने घर अथवा दफ्तर से ऑनलाइन अपना व्याख्यान देते हैं। इसके लिए कालेज प्रबंधन को विशेष तैयारी भी नहीं करनी पड़ती। न ही उसे कराने में कोई खर्च आता है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा का कहना है कि वेबिनार हर स्तर पर सुविधाजनक है। छात्र- छात्रओं के साथ कालेज प्रबंधन को इससे काफी सुविधा मिलेगी। इसे देखते सेमिनार की जगह वेबिनार आयोजन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।
वेबसाइट के जरिए होगा प्रसारण
हर डिग्री कॉलेज की अपनी वेबसाइट है। वेबिनार का प्रसारण उसी के जरिए किया जाएगा। इससे जो जहां होगा वहीं उसे देख सकेगा। इसके लिए अतिरिक्त तैयारी भी नहीं करनी पड़ेगी।