बेसिक शिक्षा विभाग में दो चार हजार नहीं वल्कि करीव 80 हजार से लेकर एक लाख शिक्षक तक फर्जी निकल सकते हैं। ऐसी आशंका एसटीएफ के अधिकारी जता रहे हैं कि कुल शिक्षकों का 20% शिक्षक फर्जी दस्तावेजों पर ही नोकरी कर रहे हैं। एसटीएफ ने पड़ताल के लिए वेसिक शिक्षा विभाग से उनकी बेवसाइट का लिंक व अन्य जानकारियां मांगी हैं।
दरअसल दो साल पहले मथुरा में फर्जी शिक्षकों की भर्ती का मामला सामने आने के वाद एसटीएफ ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की जांच की थी। एसटीएफ सिर्फ अपनी जांच में 300 से ज्यादा फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवा चुकी है। एसटीएफ की तरफ से दो साल पहले ही शासन को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें सिफारिश की गई थी कि शिक्षकों के पैन कार्ड के जरिए जांच करवाई जाए। इस रिपोर्ट में ही एसटीएफ की तरफ से आशंका जताई गई थी कि प्रदेश में करीव वीस फीसदी शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाई है।
एसटीएफ की दो साल पहले की रिपोर्ट को माने तो प्रदेश के करीव एक लाख शिक्षक जांच के दायरे में आ रहे हैं। दो साल पहले जब एसटीएफ ने फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू किया था तो तमाम शिक्षकों ने अपने पैन कार्ड और दस्तावेजों को वदलना शुरू कर दिया था। शिक्षकों का डेटा मानव संपदा पोर्टल और प्रेरणा ऐप पर अपलोड किया जाने लगा तो यह गड़वड़ी पकड़ में आई।
एसटीएफ के अधिकारियों की मानें तो इस जालसाजी में
फ़र्ज़ी शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी और
वावू भी बड़े पैमाने पर शामिल हो सकते हैं। मथुरा में भी
जव एसटीएफ ने वहां के तत्कालीन वीएसए पर शिकंजा
कसना शुरू किया था तो एसटीएफ पर बड़े पैमाने से
दवाव बनाया गया था। वाद में बीएसए के खिलाफ कोई
ठोस कार्रवाई भी नहीं हुईं थी चार लाख से ज्यादा शिक्षकों के
दस्तावेजों की होनी है जांच हालांकि एसटीएफ के लिए चार लाख शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर पाना मुश्किल होगा। एसटीएफ ने फिलहाल वेसिक शिक्षा विभाग से उनकी वेबसाइट का लिंक मांगा है।