स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की सरकार की कोशिशें वैसे तो लगातार जारी हैं, लेकिन शिक्षा के तेजी से होते व्यवसायीकरण की आंधी में यह कभी टिक नहीं पाई। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए राज्यों में एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन होगा।
फिलहाल इसे राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) नाम दिया गया है। जो स्कूलों की गुणवत्ता को बरकरार रखने के साथ फीस वृद्धि, किताबों के चयन आदि से जुड़ी मनमानी पर भी रोक लगाएगा।स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो में गली-मोहल्ले में दो-दो कमरों में चलने वाले निजी स्कूलों की जिस तरह से बाढ़ आई है, इससे स्कूलों की गुणवत्ता को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हो गया है। हाल ही में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस विषय को गंभीरता से उठाया गया। साथ ही स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए राज्य स्तर पर कड़े उपायों की जरूरत बताई गई।
शिक्षा मंत्रलय ने फिलहाल राज्यों के साथ मिलकर इस पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इसके तहत अब स्कूलों को प्राधिकरण द्वारा तय किए गए मानकों को अपनाना जरूरी होगा। हालांकि, इन मानकों को अंतिम रूप देने से पहले शिक्षकों और अभिभावकों की राय भी ली जाएगी।
स्कूलों को गुणवत्ता के बाबत हर साल तय मानकों के आधार पर एक स्व-घोषणा करनी होगी। बाद में किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसे जांचा जाएगा। साथ ही मानक पर खरा न उतरने पर इसकी रिपोर्ट राज्य स्कूली शिक्षा विभाग को देगा। सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ा रहे करीब 15 लाख शिक्षकों को आनलाइन माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है। अभी भी शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए निष्ठा कार्यक्रम चल रहा है।