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शिक्षा विभाग: छह माह में दो अलग प्रस्ताव, शासन असमंजस में

 प्रयागराज : उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा समूह ख के पदों को हासिल करने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी व राजकीय शिक्षक आमने-सामने हैं। दोनों अधिकाधिक पद हासिल करने के लिए तर्क दे रहे

हैं। शिक्षा निदेशालय ने भी वाजिब रास्ता निकालने की जगह दोनों की मांगों को प्रस्ताव की शक्ल देकर शासन के सिपुर्द कर दिया है। महज छह माह के अंदर दो प्रस्ताव भेजे गए, दोनों में अलग-अलग कोटा की दावेदारी की गई है। शासन इसको लेकर असमंजस में है।



उप्र शैक्षिक सेवा नियमावली 1992 में उप्र शैक्षिक अधीनस्थ राजपत्रित पुरुष शाखा के 597, महिला शाखा के 221 व निरीक्षण शाखा के 179 पद स्वीकृत थे। तीनों वर्गो में वरिष्ठता के आधार पर क्रमश: 61, 22 व 17 फीसद के अनुपात में पदोन्नति से पद भरे जाने की व्यवस्था है। इस समय संवर्ग के पद बढ़कर पुरुष शाखा में 766, महिला में 807 व निरीक्षण शाखा में 1031 स्वीकृत हैं। शिक्षा निदेशालय ने चार मार्च 2020 को पदोन्नति से इन पदों को भरने के लिए तय कोटा में संशोधन करके प्रस्ताव शासन को भेजा। इसमें क्रमश: 33, 33 व 34 किए जाने की तैयारी थी।

इसकी भनक लगने राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पारसनाथ पांडेय ने 28 जुलाई को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति का कोटा पुरुष व महिला शाखा से 50-50 करने और निरीक्षण शाखा को बीएसए के पद शत-प्रतिशत पदोन्नति करने की मांग की। अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अंजना गोयल ने यह पत्र 25 सितंबर को शासन को भेजा है। पांडेय का कहना है कि खंड शिक्षा अधिकारियों को इसमें रखने की जरूरत नहीं है, बल्कि वह अपने संवर्ग में प्रमोशन हासिल करें। वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ल का कहना है कि उनकी दावेदारी बेहद मजबूत है।

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