खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) चयन में ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे सवाल

 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के 309 पदों का अंतिम चयन परिणाम जारी होने के बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। आयोग ने ओबीसी के

लिए आरक्षित 31 पदों का परिणाम घोषित किया है। वहीं, प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण के हिसाब से तकरीबन 83 सीटों पर ओबीसी अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए था। इस मसले पर प्रतियोगी छात्रों ने बृहस्पतिवार को यूपीपीएसी में प्रदर्शन किया एवं ज्ञापन सौंपा। हालांकि इसके बाद आयोग ने आरक्षण को लेकर पूरी स्थित स्पष्ट कर दी।




दरअसल, शिक्षा विभाग में बीईओ के जितने पद खाली थे, उतने पदों पर भर्ती के लिए विभाग ने आयोग को अधियाचन भेजा था। जिस श्रेणी में जितने पद रिक्त थे, उस श्रेणी के उतने ही पदों पर भर्ती होनी थी। इसके तहत ओबीसी श्रेणी के 31 पद रिक्त थे और विभाग ने ओबीसी श्रेणी के इतने ही पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन भेजा था। इसी प्रकार अन्य श्रेणियों में भी उतने ही पदों पर भर्ती का अधियाचन भेजा गया, जितने पद उस श्रेणी में खाली थे। इस प्रकार कुल 309 पदों का अधियाचन आयोग को मिला था और आरक्षण का निर्धारण विभाग ने ही किया था।

 
आयोग ने इसी आधार पर परीक्षा कराई और अंतिम चयन परिणाम घोषित कर दिया। हालांकि ओबीसी श्रेणी के तकरीबन 60 अभ्यर्थियों का बीईओ के पर चयन हुआ है। इनमें 31 पद तो ओबीसी श्रेणी के हैं और इस वर्ग के बाकी अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित श्रेणी में अधिक अंक पाने के कारण ओवरलैपिंग के तहत हुआ। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि कुल 309 पद थे और भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। 

ऐसे में ओबीसी वर्ग की 83 सीटें होनी चाहिए थीं, लेकिन ओबीसी श्रेणी के तहत केवल 31 सीटों पर चयन किया गया। इसी मसले पर प्रतियोगी छात्रों ने शुक्रवार को आयोग में प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ की गई है। प्रदर्शन कर रह रहे प्रतियोगी छात्र अजय कुमार यादव, सुनील यादव, सुनील मौर्य आदि ने कहा कि इसके खिलाफ वह न्यायालय की शरण में जाएंगे। वहीं, आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि विभाग ने नियमानुसार आरक्षण का निर्धारण कर जितने पदों का अधियाचन भेजा था, आयोग ने उसी आधार पर परीक्षा कराकर अंतिम चयन परिणाम घोषित कर दिया। किसी भी स्तर पर आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।
पीसीएस की कॉपी दिखाने का लेकर विवाद
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने आरटीआई के तहत एक अभ्यर्थी को पीसीएस-2017 की कॉपियां देखने की अनुमति दे दी और दूसरे को इनकार कर दिया। जबकि दोनों ने पिछले साल अक्तूबर में आरटीआई के तहत आवेदन किया था। पिछले साल 31 अक्तूबर को आरटीआई के तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थी आलोक सिंह को अयोग ने जवाब भेजा कि उत्तर पुस्तिकाओं को संरक्षित रखने की समयावधि बीत चुकी है, सो पुस्तिकाओं का अवलोकन कराया जाना संभव नहीं।

वहीं, पिछले साल आठ अक्तूबर को आरटीआई के तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थी मनोज कुमार तिवारी को कॉपी देखने के लिए आयोग ने 15 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे का समय दिया है। अभ्यर्थी ने आलोक ने सवाल उठाए हैं कि उन्हें कॉपी क्यों नहीं दिखाई गई। वहीं, आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि नियमानुसार अंतिम चयन परिणाम जारी होने के एक साल तक ही कॉपियों को संरक्षित रखा जाता है। अगर किसी अभ्यर्थी से संबंधित कोई मामला न्यायालय में लंबित है तो संबंधित अभ्यर्थी की कॉपी को एक साल बाद भी संरक्षित रखा जाता है।