लखनऊ। कोरोना संक्रमण काबू होते ही निजी स्कूलों को फिर से ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खोलने की मांग तेज होने लगी है। इस संबंध में बुधवार को निजी स्कूलों के संगठन अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने डिप्टी
सीएम डॉ. दिनेश शर्मा से वार्ता कर प्रस्ताव सौंपा हैं, जिसमें 19 जुलाई से स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की पूरी रूपरेखा अंकित हैं। संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि स्कूल खोले जाने को लेकर सरकार का रुख सकारात्मक है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण को काफी नियंत्रित किया जा चुका है, जिसकी वजह से अब बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल खुल गए हैं। ऐसे में अब स्कूल भी ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खोले जाने चाहिए।कोरोना की वजह से स्कूलों में भौतिक रूप से पढ़ाई मार्च से बंद हैं। प्रस्ताव में पहले चरण के तहत 19 जुलाई से सीनियर कक्षाओं को खोलने की मांग की गई है। वहीं, दो अगस्त से कक्षा एक से आठ तक,
16 अगस्त से प्री प्राइमरी व प्री स्कूल खोले जाने की अनुमति मांगी है। इस पर डिप्टी सीएम ने आश्वस्त किया कि शासन जो भी कोविड प्रोटोकॉल जारी करेगा सभी निजी स्कूल उसका पालन करेंगे.
ऑनलाइन पढ़ाई में कई व्यावहारिक समस्याएं
स्कूलों के अनुसार ऑफलाइन पढ़ाई का मुकाबला ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकती। भले ही आज तकनीक अच्छी हैं और संसाधन भी हैं, लेकिन यह सभी छात्रों की पहुंच से दूर हैं। स्कूलों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई थोड़ी खर्चीली है, भले ही कई निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के अच्छे संसाधन हैं, बावजूद 20 प्रतिशत छात्र इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने से अच्छे से नहीं पढ़ पाते। वहीं, 20 प्रतिशत छात्र पढ़ाई में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखा रहे। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई से 40 प्रतिशत छात्र तो दूर ही हैं। यही छात्र जब स्कूल आएंगे तो बेहतर ढंग से पढ़ पाएंगे। स्कूलों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई में जो छात्र उपस्थित रहते हैं उनमें से यह पता नहीं चल पाता कि कौन गंभीरता से ध्यान दे रहा है। उपस्थित रहने के बावजूद शिक्षक जब छात्र को चार-चार बार बोलते हैं तब वे जवाब देते हैं। शिक्षकों के अनुसार ऑनलाइन कक्षा और ऑफलाइन कक्षा के तरीके अलग अलग हैं। कई ऐसी व्यवहारिक समस्याएं हैं, जिन्हें तकनीक से हल नहीं किया जा सकता।