इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग की शिक्षक सेवा नियमावली 1981 के अनुसार विभाग में शहरी और ग्रामीण अलग-अलग कैडर हैं और गलत कैडर बताकर कुछ शिक्षकों द्वारा शहरी कैडर में कराए गए
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को रद्द करना गलत नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। विभाग ने इन शिक्षकों का स्थानांतरण रद्द करके इन्हें मूल जनपदों में वापस भेज दिया था, जिसके खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी लेकिन याचियों को राहत देते हुए यह भी कहा कि भविष्य में वे स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं तो उनके कैडर और अंकों के आधार पर उनका स्थानांतरण करने पर विचार किया जाए।यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने रीना उपाध्याय व 13 अन्य सहित कई की दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचियों का कहना था कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। गलती से उन्होंने अपना कैडर ग्रामीण की जगह शहरी लिख दिया जिसके आधार पर विभाग ने उन्हें दूसरे जनपद में शहरी कैडर में स्थानांतरित कर दिया। बाद में इस गलती की जानकारी सामने आने पर विभाग ने स्थानांतरण रद्द कर दिए और शिक्षकों को उनके मूल कैडर में वापस उन्हीं जनपदों में भेज दिया, जहां वह पहले नियुक्त थे। याचियों की ओर से कहा गया कि एक बार स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद उसे रद्द नहीं किया जा सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग की अधिवक्ता का कहना था कि बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली के अनुसार शहरी और ग्रामीण दो अलग-अलग कैडर है तथा प्रथम चरण में एक कैडर से दूसरे कैडर में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। यह स्थानांतरण दूसरे चरण में विहित प्रक्रिया के तहत ही किया जा सकता है। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए स्थानांतरण रद्द करने की कार्रवाई में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया लेकिन यह भी कहा कि भविष्य में याची अंतर्जनपदीय तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं तो उनके आवेदन पर उनके अंकों व कैडर के अनुसार विचार किया जाए।