भर्तियों में सेंधमारी: जब तक भर्ती परीक्षाओं में सेंध लगाने वाले साल्वर गिरोहों की जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं की जातीं, परीक्षाओं की शुचिता पर सवाल खड़े होते रहेंगे।

 प्रदेश की भर्ती परीक्षाओं पर साल्वर गिरोह किस तरह आंख गड़ाए बैठे होते हैं, प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक परीक्षा (टीजीटी) इसका उदाहरण है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने पहली बार इतने बड़े स्तर पर

टीजीटी और पीजीटी (प्रवक्ता) की परीक्षा कराई है, जिसमें 15 हजार से अधिक पद हैं। आवेदकों की बड़ी संख्या को देखते हुए ही साल्वर गिरोह ने इस परीक्षा में सेंधमारी के लिए जाल बिछाना शुरू कर दिया था। पुलिस ने गिरोह के दस सदस्यों को पकड़ा जरूर है और उनसे पूछताछ में जो जानकारियां मिली हैं, वह गिरोह के अंतरराज्यीय होने और पुख्ता नेटवर्क की ओर इशारा करती हैं। इससे पहले पुलिस ने टीईटी (शिक्षक अर्हता परीक्षा) में भी बड़े साल्वर गिरोह का राजफाश किया था और उसका सरगना जेल में है। टीजीटी की सेंधमारी में शामिल गिरोह के सदस्य उसके भी संपर्क में थे। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अब परीक्षाओं में सेंधमारी के लिए अलग-अलग गिरोह परस्पर समन्वय कर आपरेट कर रहे हैं और उनके निशाने पर दूसरे राज्य की भर्ती परीक्षाएं भी हैं और वे पेपर आउट कराने या साल्वर बैठा कर अभ्यर्थी को पास कराने में इलेक्ट्रानिक डिवाइस के प्रयोग में भी दक्ष हैं। ऐसे उपकरण गिरोह के सदस्यों के पास बरामद भी हुए हैं।



वस्तुत: साल्वर गिरोह के लिए परीक्षाओं में सेंधमारी कमाई का बड़ा जरिया है। पूर्व में कर्मचारी चयन आयोग व रेलवे की परीक्षाओं में सेंध लगाने वाले गिरोह के सदस्यों से पूछताछ में यह बात प्रकाश में आई थी कि एक-एक पद के लिए दस से पंद्रह लाख तक में सौदे होते हैं। गिरोह की निगाह उन परीक्षाओं पर ज्यादा होती है, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं। टीईटी और टीजीटी में इसीलिए सेंधमारी की कोशिश हुई। आवश्यक है कि ऐसे गिरोहों को पूरी तरह समाप्त किया जाए और परीक्षा व्यवस्था को इतनी मजबूती दी जाए कि उसमें सेंध न लग सके। जब तक साल्वर गिरोहों की जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं की जातीं, परीक्षाओं की शुचिता पर सवाल खड़े होते रहेंगे।