फर्जी डिग्री से शिक्षक बना, फिर इसी की चलाई पाठशाला:-प्राथमिक शिक्षक भर्ती व टीईटी से लेकर टीजीटी- पीजीटी में साठगांठ कर कई लोगों को कराया पास

 खुद फर्जी तरीके से शिक्षक बना। इसके बाद फर्जी डिग्री पर शिक्षक बनाने की पाठशाला शुरू कर दी। सैकड़ों लोगों की फर्जी डिग्री पर नौकरियां दिलाई। जालसाजी की यह कहानी है गिरोह के मास्टर माइंड शिकोहाबाद के

रामनिवास उर्फ राम भईया की। एसटीएफ के मुताबिक रामनिवास ने 2017 व 2018 की भर्ती में खाली शिक्षकों के पदों की वेबसाइट से पूरी जानकारी हासिल की। इसके बाद सभी अभ्यर्थियों के नाम पता, मार्क्सशीट सहित सभी जरूरी दस्तावेज इंटरनेट से डाउनलोड कर लिया। इन सभी का प्रिंट निकालकर सभी के नाम व पते का फर्जी आधार कार्ड, पैनकार्ड, वोटर आईडी, शैक्षिक दस्तावेज अपने एक साथी नीरज के जरिए शिकोहाबाद में तहसील तिराहे पर शिवम फोटो की दुकान के मालिक छोटू की मदद से तैयार किये। इन फर्जी दस्तावेजों पर अपने कैंडिडेट की फोटो चस्पा की। इसके बाद भर्ती कराने में जुट गया।




साठगांठ कर कई लोगों को कराया पास


प्रदेश सरकार ने टीजीटी, पीजीटी और टीईटी की परीक्षा निजी संस्थानों के माध्यम से आयोजन शुरू कराया। इस पर रामनिवास ने आयोजन कराने वाली संस्थान से सीधे संपर्क करने लगा। नीरज की मदद से कई परीक्षा केंद्रों पर सॉल्वर बैठाए। इसके बाद 2021 में आयोजित परीक्षा में आंसर-की व सॉल्वरों के जरिए काम नहीं करा सका। इसके बाद रामनिवास व रवींद्र ने डाटा साफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज प्रा. लि. दिल्ली के मैनेजर संजय सिंह से संपर्क किया। संजय ने ओएमआर शीट खाली व भरी देने के बाद भी पास कराने की गारंटी ले लिया। रामनिवास ने संजय को टीजीटी के 34 अभ्यर्थियों की सूची भेजी। इनमें 26 को पास कराने की सहमति बनी प्रति अभ्यर्थी 7 लाख रुपये वसूले गये। परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी इंफोलिंक के अधिकारी से मुलाकात कराने के लिए संजय ने लखनऊ में मीटिंग तय की थी। इसी के लिए वह लखनऊ पहुंचा और दबोच लिया गया।

100 से अधिक नियुक्तियां

एसटीएफ के मुताबिक रामनिवास ने फर्जी दस्तावेजों व रवींद्र कुमार की मदद से इटावा में 10, जालौन, हरदोई में 9-9, श्रावस्ती में 8, अमेठी में 5, गोंडा, बलरामपुर, औरैया में एक-एक समेत सीतापुर, हाथरस और प्रयागराज में 100 से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्तियां कराई हैं। फर्जीवाड़े की जानकारी होने पर इनका सत्यापन परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने शुरू करा दी। सत्यापन के नाम पर भी रामनिवास ने काफी रुपये वसूले। इस काम में परीक्षा नियामक आयोग कार्यालय का लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया ने इसकी खूब मदद की। इसके बदले में प्रति अभ्यर्थी से 50 हजार रुपये वसूले गए। पुलिस ने आरोपियों के पास कई विश्वविद्यालयों के अंकपत्र, प्रमाणपत्र आवेदन फॉर्म, अभ्यर्थियों की फोटो, कई मोबाइल फोन, चैक बुक, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, एक बिजनेस कार्ड समेत भारी मात्रा में अन्य दस्तावेज और पैसे बरामद किए हैं।