प्रयागराज,। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं भरने और पहले ही मौत होने पर सहायक अध्यापक को ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इन्कार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर को सर्वेश कुमारी केस के फैसले के आलोक में ग्रेच्युटी का भुगतान करने पर तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कहा कि बिना देरी किए अन्य कार्यवाही पूरी की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने अजीत कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है।
सेवानिवृत्ति परिलाभों की भुगतान किया गया, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं
याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की। इनका कहना था कि याची की पत्नी शिवमूर्ति बालिका इंटर कालेज केराकत, जौनपुर में बायोलाजी विषय की सहायक अध्यापिका थी। सेवाकाल में ही उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद सेवानिवृत्ति परिलाभों की भुगतान किया गया, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया। कहा कि याची की पत्नी ने सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं दिया है।
धोखाधड़ी केस बरेली से गाजियाबाद स्
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश बरेली को निर्देश दिया है कि विचाराधीन आपराधिक केस संख्या-4190 सन 2019 राज्य बनाम माही पाल को गाजियाबाद की जिला अदालत में स्थानांतरित करें। कहा कि जिला न्यायाधीश गाजियाबाद इसे क्षेत्राधिकार रखने वाली अदालत सुनवाई के लिए नामित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने माही पाल की स्थानांतरण अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। अर्जी पर अधिवक्ता यज्ञदेव शर्मा ने बहस की।
इनका कहना है कि बरेली की जिला अदालत में धारा-406, 420, 504 व 506 के अंतर्गत याची के खिलाफ आपराधिक केस चल रहा है। इसे नोएडा गौतमबुद्ध नगर स्थानांतरित करने की मांग की गई। बहस के दौरान दोनों पक्षों में गाजियाबाद में स्थानांतरित करने पर सहमति बनी। इस पर कोर्ट ने न्याय हित में केस बरेली से गाजियाबाद जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।