नीट-पीजी 2021 में 1,456 सीट भरने के लिए विशेष काउंसलिंग कराने की मांग वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी। साथ ही कहा कि विशेष काउंसलिंग न कराने का सरकार और चिकित्सा परिषद का फैसला मनमाना नहीं कहा जा सकता।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे जनस्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। ये याचिकाएं नीट-पीजी 2021 की परीक्षा देने वाले और काउंसलिंग में हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों ने दायर की थीं।
सर्वोच्च अदालत ने कहा, छात्र अकादमिक सत्र के करीब एक साल और काउंसलिंग के आठ से नौ चरणों के बाद उन खाली सीटों पर दाखिले की मांग नहीं कर सकते, जिनमें से ज्यादातर नॉन-क्लीनिकल हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि नीट-पीजी 2021 में अखिल भारतीय कोटा के लिए विशेष स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग की सीमा तय होनी चाहिए।
शिक्षा और लोगों के स्वास्थ्य से समझौता कर छात्रों को दाखिला नहीं दिया जा सकता। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने बुधवार को कोर्ट को बताया था कि विशेष काउंसलिंग से सीट नहीं भरी जा सकती, क्योंकि सॉफ्टवेयर बंद हो गया है।