उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (UP secondary education) में बेहतरी के दावे राजकीय विद्यालयों तक सीमित हैं। अशासकीय सहायताप्राप्त (Aided) विद्यालयों में 100 साल पुराने नियम लागू हैं। इसीलिए शिक्षक भर्ती में पाकिस्तान के लाहौर के मेयो कालेज की डिग्री मान्य भी है और कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई का अब तक इंतजाम नहीं हो सका है। समान पाठ्यक्रम वाले राजकीय व एडेड माध्यमिक कालेजों में शिक्षक भर्ती के नियम तक समान नहीं किए जा सके हैं।
उत्तर प्रदेश में 2357 राजकीय व 4512 एडेड माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। सभी विद्यालयों में सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू हो चुका है। विषयवार पढ़ाई कराने के लिए शिक्षकों का चयन अलग संस्थाएं कर रही हैं। राजकीय विद्यालयों के लिए उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग व एडेड विद्यालयों के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उत्तर प्रदेश को जिम्मा मिला है।
दोनों भर्ती संस्थाओं की हिंदी, कला जैसे कई विषयों में शिक्षक चयन की अर्हता अलग है। चयन बोर्ड में कला शिक्षक के लिए बीएफए, एमएफए जैसी डिग्री लेने वाले अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पाते, क्योंकि वहां इंटरमीडिएट एक्ट 1921 के नियमों के आधार पर भर्ती होती है। कला शिक्षकों की भर्ती में वहां अब तक लाहौर के मेयो कालेज की डिग्री भी मान्य है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड चार साल में 100 वर्ष पुरानी नियमावली में संशोधन नहीं कर पाया है।
एडेड में कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती नहीं
राजकीय कालेजों के लिए 2018 में 10768 शिक्षक भर्ती निकाली गई। उसमें 1548 पद कंप्यूटर शिक्षकों के थे। शिक्षक चयन में बीएड अनिवार्य होने से अधिकांश पद खाली रह गए। वहीं, एडेड विद्यालयों के लिए कंप्यूटर शिक्षकों के पदों का सृजन तक नहीं हुआ है। कुछ विद्यालयों में अस्थायी शिक्षक जैसे तैसे कार्यरत हैं। चयन बोर्ड में 15508 व 4163 पदों के लिए आवेदन मांगे जाने पर अर्हता लेकर विवाद हुआ लेकिन अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई।
चयन की अर्हता समान करने को बनती रहीं कमेटियां
राजकीय व एडेड कालेजों में शिक्षक भर्ती की चयन अर्हता समान करने के लिए शासन कमेटियां बनाता रहा। एक कमेटी में बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव, अपर निदेशक माध्यमिक मंजू शर्मा व तत्कालीन संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रयागराज माया निरंजन रहीं। इसमें नीना श्रीवास्तव व माया निरंजन रिटायर हो चुकी हैं और मंजू शर्मा दिसंबर में सेवानिवृत्त होंगी। इस कमेटी ने कई सुझाव दिए लेकिन निर्णय किसी पर नहीं हुआ। यूपी बोर्ड में अनुपयोगी नियमों को समाप्त करने के लिए भी कमेटियां बनी, लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों है।
यूपी बोर्ड के पूर्व छात्रों को संस्था से जोड़ नहीं पा रहे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्देश देते रहे हैं कि विद्यालयों में पुरातन छात्र परिषद गठित की जाए तो वहां इतना कार्य हो सकता है कि सरकार को मदद करने की जरूरत नहीं होगी। 2021 यूपी बोर्ड का शताब्दी वर्ष रहा, इसके लिए प्रयागराज से लखनऊ तक आयोजन करने की रूपरेखा बनी। बोर्ड की वेबसाइट पर मिशन गौरव के तहत पूर्व छात्रों से पंजीकरण कराया गया। बड़ी संख्या में पंजीकरण भी हुए लेकिन अब तक कोई आयोजन नहीं किया जा सका है।
नियमावली बदलने पर गंभीरता से चल रहा कार्य
माध्यमिक शिक्षा की निदेशक सरिता तिवारी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की 1921 की नियमावली बदलने पर गंभीरता से कार्य हो रहा है, एडेड माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक रखे जाने की तैयारी है, निदेशालय से प्रस्ताव लेकर शासन को भेजा है, जल्द ही निर्देश जारी होंगे। यूपी बोर्ड ने पहली परीक्षा 1923 में कराई थी इसलिए अभी अवसर है पुरातन छात्रों को बुलाकर आयोजन करेंगे।