प्रदेश के गांवों में रहने वाले 13 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री आवास नहीं मिलेंगे। तीन माह पहले ग्राम्य विकास विभाग ने पत्र भेजकर अनुरोध जरूर किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत
यूपी के लिए इस वित्तीय वर्ष के लिए आवास स्वीकृत नहीं किया है। वैसे ग्राम्य विकास विभाग आवास पाने के लिए अभी प्रयासरत जरूर है। केंद्र सरकार का कहना है कि यूपी काे ग्रामीण आवास देने का कोटा पूरा हो चुका है।प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराया जाना है। योजना का लाभ हर उस गरीब परिवार को दिया जा रहा है, जिनके पास पक्का मकान नहीं है। इस योजना में यूपी सबसे आगे रहा है अब तक 25.80 लाख आवास का निर्माण पूरा हो चुका है। वहीं, 34 हजार आवास निर्माण किया जा रहा है। ग्राम्य विकास विभाग ने गांवों में आवासहीन 13 लाख परिवारों को मार्च 2023 तक मकान दिलाने का लक्ष्य तय करके योजना बनाई।
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उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री आवास योजना (आवास प्लस) के तहत शेष 13 लाख मकान वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वीकृत करने का अनुरोध किया। ज्ञात हो कि आवास प्लस योजना के तहत प्रदेश में 23 लाख से अधिक परिवार पात्र पाए गए थे।
बीते दो वित्तीय वर्ष में 11 लाख परिवारों को आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। अन्य को दिलाने का प्रयास जारी है। ऐसा होने पर प्रदेश में कोई परिवार आवासहीन नहीं रहेगा। विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव को इस बाबत पत्र लिखा। अफसरों का दावा है कि मंत्रालय यूपी को आवास स्वीकृत करने के पक्ष में रहा लेकिन, आवास आवंटन में यूपी को किनारे कर दिया गया।
वहीं, ग्रामीण विकास मंत्रालय का कहना है कि उत्तर प्रदेश को आवास देने का कोटा पूरा हो चुका है। अब और आवास नहीं मिलेंगे। ग्राम्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा है कि 13 लाख आवास का नया आवंटन होने से सभी आवासहीन परिवारों को लाभ मिल जाता। इसलिए विभाग का प्रयास अब भी जारी है।
क्या है योजना : केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2015 में शुरू की, ताकि देश के गरीब परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध हाे सके। 2011 की सामाजिक व आर्थिक गणना के आधार पर पात्रों का चयन किया गया। सरकार इसके लिए प्रति परिवार काे एक लाख 20 हजार रुपये दे रही है।