राजधानी में बगैर खाली पद अंतरजनपदीय स्थानांतरण से आए परिषदीय स्कूलों के 71 शिक्षकों को वापस भेजने की शुरुआत हो गई है। बुधवार को इनमें से 14 को लौटा दिया गया। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहने का अनुमान है।
लखनऊ में जूनियर स्कूलों के सहायक अध्यापक और प्राइमरी के प्रधानाचार्य स्तर के 200 से ज्यादा शिक्षक सरप्लस हैं। इस कारण स्थानांतरण की शुरुआत में पोर्टल पर यहां शिक्षकों की संख्या शून्य दिखाई गई थी। इसके बावजूद पदनाम में खेल करके 71 के तबादले लखनऊ में कर दिए गए। शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि पिछली बार यहां 2007 में प्रोन्नत वेतनमान का लाभ मिला था। अन्य जनपद के शिक्षकों के आने से इसमें और देरी होगी।
इस विरोध के बाद शिक्षा विभाग इन्हें तैनाती नहीं दे पा रहा था। अब शिक्षकों को जनपद में लौटाने की शुरुआत हो गई है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रिपोर्टिंग के बाद वापस भेजने का आदेश थमा रहे हैं। वहीं, वापस भेजी जा रहीं शिक्षिकाओं का कहना है स्थानांतरण होने के बाद विशेष बैच वालों के लिए तबादला न होने की बात कही जा रही है।
शिक्षिका विजयलक्ष्मी श्रीवास्तव का कहना है कि जब पीलीभीत से आ गई तो बताया कि 2009 बैच वालों के लिए रिलीव नहीं होगा। बच्चे 15 सालों से लखनऊ में हैं। 15 सालों में पोर्टल पर पहली बार तबादले की प्रक्रिया दिखाई, जिस पर भी यह निश्चित नहीं है कि आगे कुछ होगा। बीएसए दफ्तर के चक्कर लगा रहे थे। अब हमें वापस भेज दिया गया। आंबेडकरनगर से आईं नीतू गुप्ता ने बताया कि छह जून को किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। लखनऊ के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। पहले पोर्टल पर स्थानांतरण दिखाया और अब बता रहे कि ऐसा कोई ऑर्डर नहीं है। फर्रुखाबाद से आईं अर्पणा सिंह कहती हैं कि हम लोग रोजाना बीएसए दफ्तर के चक्कर ही काट रहे हैं।
ऑर्डर के हिसाब से कर रहे काम
हम ऑर्डर के हिसाब से काम कर रहे हैं। कटऑफ डेट में वर्ष 2009 वाले शिक्षक नहीं है। इस वजह से इन्हें वापस भेजा जा रहा है।