प्रयागराज : उच्च शिक्षा निदेशालय, राजकीय महाविद्यालय, पब्लिक लाइब्रेरी और क्षेत्रीय कार्यालय के लिए समूह ग के कर्मचारियों की भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से एक साथ होती है। नियुक्ति होने के बाद इनका आपस में तबादला नहीं होता है। खासकर निदेशालय में तैनात कर्मचारियों का कभी तबादला नहीं होता है। इससे वे मनमानी भी करते हैं, जिसका नुकसान महाविद्यालयों में तैनात कर्मियों का होता है। अब महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद ने मांग उठाई है कि एक कैडर वाले कर्मचारियों का आपस में तबादला हो। पिछले दिनों उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श भी हुआ है।
प्रदेश भर के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों, 171 राजकीय महाविद्यालयों, क्षेत्रीय कार्यालयों आदि में तैनात शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों के तमाम मामले उच्च शिक्षा निदेशालय में लंबित हैं। लंबित मामलों को निर्धारित समय में निस्तारित करने के लिए लेटर मानीटरिंग सिस्टम बनाया गया, जो लापरवाही की भेंट चढ़ गया। खासकर पदोन्नति, वेतन निर्धारण, जीपीएफ, पेंशन आदि के मामले समय ने निस्तारित न होने पर कर्मचारियों को निदेशालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लंबित मामलों का मुद्दा महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद की ओर से कई बार उठाया गया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सोलंकी ने बताया कि निदेशालय कर्मियों की लापरवाही से फाइलें लंबित हैं