उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा में बिना ब्रिज कोर्स वाले 20 हजार बेसिक शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से लगे झटके से अभी ये उबरे भी नहीं थे कि अपने संवर्ग के लोगों से ही इन्हें अब खतरा सताने लगा है।
हालत यह हो चुकी है कि बिना ब्रिज कोर्स किए बेसिक स्कूलों में शिक्षण कार्य कर रहे इन शिक्षकों ने सरकार से शीघ्र उन्हें ब्रिज कोर्स कराने की मांग की है।अभी कुछ माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षक भर्ती के लिए बीएड की डिग्री अमान्य कर दी थी। साथ ही निर्णय दिया था कि बेसिक शिक्षक बनने के लिए बीटीसी (अब डीएलएड) की शैक्षिक अर्हता ही मान्य है। उस समय से बिना ब्रिज कोर्स के तीन साल से नौकरी कर रहे 20 हजार बीएड डिग्री धारकों को चिंता सताने लगी है। उन्हें डर है कि कोर्ट के निर्णयों की आड़ में कहीं उन्हें भी नौकरी से हाथ न धोना पड़ जाए। विभाग इनको अब तक ब्रिज कोर्स नहीं करा सका है।
अभी तक जब-जब बीएड वालों को भर्ती में मौका दिया गया तो उनको जॉइनिंग से पहले 6 माह का ब्रिज कोर्स करवाया गया। ऐसे ही 69000 शिक्षक भर्ती साल 2000 में की गई, इसमें भी बीटीसी के साथ बीएड वालों को मौका दिया गया, इनको बिना ब्रिज कोर्स करवाए सीधे जॉइनिंग दे दी गई। तब से नौकरी कर रहे हैं और पूरा वेतन मिल रहा है।
क्या है नियम
एनसीटीई (नेशनल काउन्सिल फॉर टीचर एजुकेशन) का नियम यह है कि बीएड डिग्री वालों को बेसिक शिक्षक बनाने से पहले 6 माह का ब्रिज कोर्स करवाया जाएगा। तत्पश्चात उन्हें स्कूलों में तैनाती दी जाएगी। प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा इन नियमों को दरकिनार कर बिना ब्रिज कोर्स कराए ही बीएड डिग्री वालों को बेसिक शिक्षक बना दिया गया।
ब्रिज कोर्स कराने में आ रही तकनीकी दिक्कतें
ब्रिज कोर्स कराने में अब कई तकनीकी दिक्कते सामने आ रही हैं। दरअसल, बेसिक शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट में लम्बित एक केस का हवाला देते हुए सरकार को लिखा है कि प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट को लेकर ही हाईकोर्ट में कैसे चल रहा है। अगर मेरिट में किसी प्रकार का बदलाव होता है तो ऐसी दशा में वर्तमान के कई मेरिट बदलेगी। ऐसे में कुछ बीएड वाले शिक्षक बाहर हो सकते हैं, जब कुछ नए भी आ सकते हैं। ऐसे में हाईकोर्ट में मामला विचार अधीन होने के कारण अभी ट्रेनिंग नहीं कराई जा सकती।