नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक हाईकोर्ट में एक समिति गठित करने का निर्देश भी दिया है। शीर्ष कोर्ट ने माना कि वित्तीय गरिमा कार्यरत और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी दोनों के लिए जरूरी है।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि न्यायिक अधिकारियों व अन्य सरकारी अधिकारियों के वेतन-भत्ते बराबर होने चाहिए।
पीठ ने कहा, न्यायिक सेवा को सरकार के अन्य अधिकारियों की सेवा के बराबर नहीं किया जा सकता है। चिंता का विषय है कि जहां अन्य सेवाओं के अधिकारियों ने एक जनवरी 2016 में किए सेवा शर्तों में संशोधन का लाभ उठाया है, वहीं न्यायिक अधिकारियों से जुड़े ऐसे मुद्दे आठ साल बाद भी निर्णय के इंतजार में हैं।
29 फरवरी से पहले सभी भुगतान सुनिश्चित करें राज्य : कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे बकाया वेतन, पेंशन और भत्तों का भुगतान 29 फरवरी या उससे पहले सुनिश्चित करें।