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कोर्ट का आदेश हो गया जारी, अब किस बात की देरी... लखनऊ में 69000 शिक्षक अभ्यर्थियों ने फिर भरी हुंकार

 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने एक बार फिर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया हैं। अभ्यर्थी हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच से दिए गए फैसले का पालन किए जाने मांग करते हुए बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने धरने पर बैठ गए। मंगलवार सुबह लगभग 10 बजे से अभ्यर्थियों ने पहुंचना शुरू कर दिया। अभ्यर्थियों का कहना है कि हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, सरकार उसे जल्द लागू कर आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों को न्याय देकर नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। अभ्यर्थियों ने हाथ में पोस्टर लिया था। 



इसमें लिखा था कि आदेश हो गया जारी, अब किस बात की देरी। यही नारा भी लगाया जाता रहा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अभ्यर्थियों के पक्ष में आवाज बुलंद की। कहा कि तीन घंटे में कंप्यूटर से सूची बन सकती है। इसके बाद भी भाजपा सरकार तीन महीने का समय क्यों मांग रही है। अखिलेश ने इसके पीछे साजिश की आशंका भी जताई है।


धरना प्रदर्शन में अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग से अन्याय कर नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया और नियमों का पालन कर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। बावजूद इसके सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली कर रही है। 


कहा कि हम चाहते हैं की सरकार जल्द से इस प्रकरण का समाधान करें और एक शेड्यूल जारी कर बताएं कि हम पीड़ितों की नियुक्ति कब की जा रही है। पटेल ने कहा कि कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मूल चयन सूची रद्द कर सरकार को तीन माह के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है। सरकार ने अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया है, केवल एक मीटिंग की है। हमारी मांग है कि सरकार हमारी चयन संबंधित प्रक्रिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी करें।

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