पचास से कम बच्चे वाले विद्यालय ~
सरकार बच्चों की आबादी के अनुसार स्कूलों को बंद करने का निर्णय नही ले सकती है। इस बात को ऐसे समझना चाहिए कि जब RTE act में तीस बच्चों पर एक शिक्षक है तो पचास से कम पर आपको शिक्षक रखना अनिवार्य है अब वहाँ चाहे दस बच्चे हो या बीस या तीस क्योंकि RTE को तत्कालीन सरकार ने quality education or right to life से जोड़ा ही इसलिए था under article 21.
इसके अलावा UPRTE का section 4(1) उस जगह की आबादी से मतलब रखता है नाकि बच्चों की आबादी से इसके अलावा section 4(2) कहता है कि ऐसी जगह जहाँ विद्यालय उपलब्ध न हो वह के लिए सरकार बच्चों को free transportation की व्यवस्था उपलब्ध करवाए तो उसमें कहा है कि ऐसी जगह जहाँ विद्यालय उपलब्ध न हो ऐसा नही हो सकता है कि आप विद्यालय बंद कर दें।
आज महानिदेशक के यहाँ मीटिंग है कोई भी संगठन या so called स्वयंभू लोग इसका हिस्सा नही है क्योंकि उन्हें तो इन बातों का ज्ञान है नही और सरकार उनके भीतर छिपी कमी को भली भाँति जानती है इसलिए उनसे मतलब भी नही है। आज की मीटिंग में सबसे पहले शिक्षकों को नकारा घोषित किया जाएगा कि ये लोग पढ़ाते नही है इसलिए स्कूलों में बच्चे नही है फिर नौकरी का डर दिखाकर स्कूलों को बंद करने की क़वायद चालू की जाएगी।
वर्ष 2017 में ये सत्ता सम्भाले थे मैं तभी से गुजरात मोडल को लेकर लिख रहा था और सभी को चेता रहा था आज आठ वर्ष बीत गए हैं अक्षरशः वही सब हो रहा है लेकिन teachers केवल स्वार्थ साधने के चक्कर में वो सब करता चला जा रहा है जो इन्होंने कहा, विरोध कहीं होता नही है ।
यही स्कीम है इनकी कि एक न्याय पंचायत में PM श्री चालू करो और एक ही परिसर में एक स्कूल का संचालन किया जाए इसलिए ही विभाग merge कर दिए हैं कि सम्पूर्ण शिक्षा विभाग एक के ही under में आएगा। अभी बेसिक वाले परेशान है लेकिन नम्बर माध्यमिक और अन्य का भी आ रहा है।
शिक्षक केवल सोच रहा है क्योंकि जिनके भरोसे था उनके मुँह पर ताले लगे हैं ।
इस बात का विरोध न्यायालय में किया जाएगा और अगर कोई नकरात्मक आदेश करते हैं तो फिर ये तैयार रहें।
#rana