नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के चर्चित 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को निर्देश दिया है कि वे अपनी लिखित दलीलें प्रस्तुत करें, ताकि अगली सुनवाई के दौरान इस मामले का अंतिम निपटारा किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोर्ट इस मामले के कानूनी पहलुओं की विस्तार से समीक्षा करेगा और अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल स्थगित
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल स्थगित रहेगा, जिससे करीब 19,000 शिक्षकों को फिलहाल राहत मिली है। ये वे शिक्षक हैं, जो पिछले 4 साल से नौकरी कर रहे हैं और हाईकोर्ट के फैसले के चलते अपनी नौकरी खोने के डर में थे। हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमों के पालन में खामियों का हवाला देते हुए जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूचियों को रद्द कर दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने लिखित दलीलें मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार समेत सभी पक्षों को 7-7 पन्नों की लिखित दलीलें प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले की गहन समीक्षा के लिए समय चाहिए, और इसके लिए दोनों पक्षों के दो नोडल वकीलों को नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार को भी इस पर अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूचियों को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि आरक्षण नियमों का पालन सही तरीके से नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार जनरल कैटेगरी की मेरिट के बराबर अंक लाता है, तो उसे जनरल कैटेगरी के तहत चुना जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया था। इस फैसले से राज्य के हजारों शिक्षकों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा था, जिन्हें नौकरी खोने का डर सता रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ी खबर
69 हजार शिक्षक भर्ती पर बड़ा आदेश
हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई
यूपी सरकार, दोनों पक्षों से मांगा जवाब
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— Zee Uttar Pradesh Uttarakhand (@ZEEUPUK) September 9, 2024
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहत
सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश उन शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, जो हाईकोर्ट के फैसले के कारण असमंजस की स्थिति में थे। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया है कि अंतिम फैसला कानूनी पहलुओं की गहन समीक्षा के बाद ही लिया जाएगा।