लखनऊ। संबद्ध शिक्षकों की उनके मूल विद्यालय में वापसी के आदेश के बाद जोन-1 के प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर में 100 बच्चों का भविष्य दांव पर है। इस विद्यालय की शिक्षिका नीना कुमार तीन साल तक चिड़ियाघर में शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात थीं। अब उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पुस्तकालय अधिकारी बनाकर भेजने की तैयारी है। ऐसे में विद्यालय शिक्षकविहीन हो जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश के बाद पिछले माह शिक्षिका नीना कुमार की विद्यालय में वापसी से पहले ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में तैनाती के लिए फाइल चल गई है। एसीएस वन विभाग मनोज सिंह ने 11 सितंबर को बेसिक शिक्षा निदेशक को भेजे गए पत्र में नीना कुमार की एनओसी देने की मांग की थी।
शिक्षा विभाग ने पहले तो टालने का प्रयास किया, लेकिन बाद में सूत्रों के मुताबिक ऊपर से दबाव पड़ते ही सचिव परिषद सुरेंद्र तिवारी को एनओसी जारी करनी पड़ी। स्कूल बंद न हो, इसकी जिम्मेदारी बीएसए की है। वे शिक्षकों के नियुक्ति प्राधिकारी होते हैं। लेकिन इस मामले में बीएसए की भी नहीं चली। वहीं इस संबंध में एक विभागीय अधिकारी कहते हैं कि स्थिति मेरे कंट्रोल से बाहर है, ऊपर से मिले निर्देशों का पालन किया जा रहा है.
वन विभाग में निजी सचिव हैं पति
विभागीय बाबुओं के अनुसार, शिक्षिका नीना कुमार, एसीएस मनोज सिंह के निजी सचिव राजीव कुमार की पत्नी हैं। इसलिए वह अपनी तैनाती मनचाही जगह करवा लेती हैं। वहीं केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के नियम के मुताबिक, चिड़ियाघर में वही शिक्षक तैनात हो सकता है जो कम से कम एमएससी जूलॉजी हो। लेकिन नीना कुमार के पास यह योग्यता नहीं थी। बेसिक शिक्षक का पद परिषदीय कैडर है।
संगठन नहीं करता समर्थन
प्राथमिक शिक्षक के प्रदेश अध्यक्ष संघ सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि शिक्षक का काम पढ़ाना है, इन्हें स्कूल में वापस भेजा जाना चाहिए। हमारा संगठन ऐसे शिक्षकों का समर्थन नहीं करता। वहीं प्रदेश अध्यक्ष महिला शिक्षक संघ सुलोचना मौर्या ने कहा कि नियुक्ति पत्र में स्पष्ट है कि बच्चों को पढ़ाना है। किसी भी शिक्षक को दूसरे विभाग में भेजा जाना गलत है।
जांच कराई जाएगी
इस मामले की जानकारी मुझे फिलहाल नहीं है। मामला संज्ञान में आने पर प्रकरण की जांच कराई जाएगी।
- डॉ. एमकेएस सुंदरम, अपर मुख्य सचिव बेसिक
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