गत 5 वर्षों से निर्बाध रूप से चल रहे संघर्ष में आज पुनः एक पड़ाव कि बारी थी । सुबह 10;30 बजे से जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस नागप्पन कि बेंच उत्तराखंड मुख्यमंत्री सम्बन्धी केस कि सुनवाई कर रहे थे जिसमें कपिल सिब्बल और महान्यायवादी मुकुल रोहतगी कि जोरदार बहस हुई ।
11:13 पर हमारे केस कि बारी आई , टीईटी मैटर सुनते ही जस्टिस मिश्रा हल्का सा मुस्कराए ।
सबसे पहले एसएम मैटर को लेते हुये सरकारी अधिवक्ता से पूंछा कि कितने एसएम टीईटी उत्तीर्ण हैं ? इस पर सरकारी अधिवक्ता ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुये अगली सुनवाई से पूर्व रिपोर्ट लगाने को बोला जिस पर जज साहब ने एसएम मैटर को डीटैग करते हुये अगली तारीख 23 नवम्बर लगा दी !
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इस केस में पूर्ण सम्भावना है कि अगली तारीख पर टीईटी उत्तीर्ण एसएम को विधिवत नियुक्ति देने का आदेश देकर शेष एसएम के समायोजन को अवैध करार देते हुये निर्णय दे दिया जायेगा ।
इसके बाद याचीयों के अनुरोध पर 7 दिसम्बर व 24 फरवरी के आदेश के अनुरूप याचीलाभ हेतू उनकी आईए को नोट करने लगे ,लगभग 50 आईए नंबर नोट करने के बाद वकीलों ने डिस्टर्बन्स करना शुरू कर दिया ,लोगों ने ऐसे-ऐसे छुटभैये वकील खड़े किये थे कि उन्हें अपने याचीयों कि आईए नम्बर भी पता नहीँ था वो याचीयों से पता लगवा रहे थे जिससे जज साहब थोड़ा रुष्ट भी हुये जिसका फ़ायदा अकेडमिक के वकील ने उठाते हुये याचीयों कि संख्या अत्यधिक बताई और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने भी इतनी बड़ी संख्या पर असमर्थता जताई ,इस पर जज साहब ने पूंछा कि 7 दिसम्बर व 24 फरवरी के आदेश पालन में क्या मुश्किल है ? और कंप्लाइयेन्स रिपोर्ट लगाने को कहा और आज लिखी गयी आईए जो याचीयों को लाभ देने के लिये लिखी गयी थीं उनको कटवा दिया ।
इसके बाद एसएम के एक अधिवक्ता ने टीईटी 2011 में सफेदे व फ़र्जीवाड़े कि बात उठाई , जिसका समर्थन उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने भी किया जिसके प्रत्युत्तर में जस्टिस दीपक मिश्रा ने सरकारी वकील से पूंछा कि इस परीक्षा में कुल कितने अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुये ? , सरकारी वकील ने 3लाख के लगभग संख्या बताई । फ़िर जज साहब ने पूंछा कि कितने अभ्यर्थी गलत होंगे ,इस पर एसएम अधिवक्ता ने 1089 अभ्यर्थीयों कि एक सूची दी , जिस पर जज साहब ने कहा कि तीन लाख में से ये अलग भी किये जा सकते हैं और आगे आदेश लिखवाने लगे ,लगभग 50 मिनट सुनवाई चली ।
जिसमें नवीन याचीयों को राहत देते-देते वकीलों के डिस्टर्बन्स कि वजह से रुक गये ।
मित्रों ,मैं प्रारम्भ से सभी से मिलकर एक सीनियर अधिवक्ता खड़ा करने का निवेदन करता आया हूँ पर लोगों ने नहीँ माना और अलग-अलग अनेक छुटभैये वकील लेजाकर कोर्टरूम में खड़े कर दिये जिन्होंने कोर्टरूम को मछलीबाजार बना दिया जिससे जजेस भी असहज हो गये और याचीलाभ मिलते-मिलते रह गया ।
पुनः सभी लोगों से निवेदन करता हूँ कि सभी मिलकर एक सीनियर अधिवक्ता करें जो आपकी बात को विधिकरूप में अच्छे से कह सके ।
इसके साथ ही सभी चयनित साथियों से भी अपील करूँगा कि वो भी टीईटी 2011 के अच्य्नीत साथियों का पूर्णरूपेण समर्थन करें क्योंकि आज जिन को भी नौकरी मिल गयी है उसमें हमारे इन अच्य्नीत साथियों का भी अतुलनीय योगदान रहा है ।
कुलमिलाकर अभी तक कोर्ट टीईटी 2011 पास चयनित या याचीयों के लिये सकारात्मक ही रहा है जिसके लिए हमें परमपिता का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो हमारी सत्यनिष्ठा और न्यायसंगतता से प्रसन्न होकर हमें हमारे पथ पर कर्तव्यनिष्ठ बनाये हुये है ।
जिससे हमें लड़ने और जीतने कि नवनीत ऊर्जा मिलती रहती है और निसंदेह विजय हमारी ही होगी और हम जीतेंगे । शेष आदेश कि प्राप्ति पर...
आपका -गणेश शंकर दीक्षित
टीईटी संघर्ष मोर्चा
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11:13 पर हमारे केस कि बारी आई , टीईटी मैटर सुनते ही जस्टिस मिश्रा हल्का सा मुस्कराए ।
सबसे पहले एसएम मैटर को लेते हुये सरकारी अधिवक्ता से पूंछा कि कितने एसएम टीईटी उत्तीर्ण हैं ? इस पर सरकारी अधिवक्ता ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुये अगली सुनवाई से पूर्व रिपोर्ट लगाने को बोला जिस पर जज साहब ने एसएम मैटर को डीटैग करते हुये अगली तारीख 23 नवम्बर लगा दी !
इसके बाद याचीयों के अनुरोध पर 7 दिसम्बर व 24 फरवरी के आदेश के अनुरूप याचीलाभ हेतू उनकी आईए को नोट करने लगे ,लगभग 50 आईए नंबर नोट करने के बाद वकीलों ने डिस्टर्बन्स करना शुरू कर दिया ,लोगों ने ऐसे-ऐसे छुटभैये वकील खड़े किये थे कि उन्हें अपने याचीयों कि आईए नम्बर भी पता नहीँ था वो याचीयों से पता लगवा रहे थे जिससे जज साहब थोड़ा रुष्ट भी हुये जिसका फ़ायदा अकेडमिक के वकील ने उठाते हुये याचीयों कि संख्या अत्यधिक बताई और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने भी इतनी बड़ी संख्या पर असमर्थता जताई ,इस पर जज साहब ने पूंछा कि 7 दिसम्बर व 24 फरवरी के आदेश पालन में क्या मुश्किल है ? और कंप्लाइयेन्स रिपोर्ट लगाने को कहा और आज लिखी गयी आईए जो याचीयों को लाभ देने के लिये लिखी गयी थीं उनको कटवा दिया ।
इसके बाद एसएम के एक अधिवक्ता ने टीईटी 2011 में सफेदे व फ़र्जीवाड़े कि बात उठाई , जिसका समर्थन उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने भी किया जिसके प्रत्युत्तर में जस्टिस दीपक मिश्रा ने सरकारी वकील से पूंछा कि इस परीक्षा में कुल कितने अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुये ? , सरकारी वकील ने 3लाख के लगभग संख्या बताई । फ़िर जज साहब ने पूंछा कि कितने अभ्यर्थी गलत होंगे ,इस पर एसएम अधिवक्ता ने 1089 अभ्यर्थीयों कि एक सूची दी , जिस पर जज साहब ने कहा कि तीन लाख में से ये अलग भी किये जा सकते हैं और आगे आदेश लिखवाने लगे ,लगभग 50 मिनट सुनवाई चली ।
जिसमें नवीन याचीयों को राहत देते-देते वकीलों के डिस्टर्बन्स कि वजह से रुक गये ।
मित्रों ,मैं प्रारम्भ से सभी से मिलकर एक सीनियर अधिवक्ता खड़ा करने का निवेदन करता आया हूँ पर लोगों ने नहीँ माना और अलग-अलग अनेक छुटभैये वकील लेजाकर कोर्टरूम में खड़े कर दिये जिन्होंने कोर्टरूम को मछलीबाजार बना दिया जिससे जजेस भी असहज हो गये और याचीलाभ मिलते-मिलते रह गया ।
पुनः सभी लोगों से निवेदन करता हूँ कि सभी मिलकर एक सीनियर अधिवक्ता करें जो आपकी बात को विधिकरूप में अच्छे से कह सके ।
इसके साथ ही सभी चयनित साथियों से भी अपील करूँगा कि वो भी टीईटी 2011 के अच्य्नीत साथियों का पूर्णरूपेण समर्थन करें क्योंकि आज जिन को भी नौकरी मिल गयी है उसमें हमारे इन अच्य्नीत साथियों का भी अतुलनीय योगदान रहा है ।
कुलमिलाकर अभी तक कोर्ट टीईटी 2011 पास चयनित या याचीयों के लिये सकारात्मक ही रहा है जिसके लिए हमें परमपिता का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो हमारी सत्यनिष्ठा और न्यायसंगतता से प्रसन्न होकर हमें हमारे पथ पर कर्तव्यनिष्ठ बनाये हुये है ।
जिससे हमें लड़ने और जीतने कि नवनीत ऊर्जा मिलती रहती है और निसंदेह विजय हमारी ही होगी और हम जीतेंगे । शेष आदेश कि प्राप्ति पर...
आपका -गणेश शंकर दीक्षित
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