नई दिल्ली, मदन जैड़ा देश के माध्यमिक स्कूलों में गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी आदि विषयों के डेढ़ लाख पद रिक्त हैं। इस मद में केंद्र से शिक्षकों के वेतन के लिए धनराशि राज्यों को जारी होती है।
राज्य राशि तो ले रहे हैं लेकिन पदों को नहीं भर रहे हैं। इसे खफा केंद्र सरकार ने कहा कि जो शिक्षक कार्यरत हैं, उन्हीं के वेतन के लिए धनराशि राज्यों को मिलेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार 2009 में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शुरू किया था। जिसके लिए केंद्र से राज्यों को माध्यमिक शिक्षा के लिए धनराशि दी जाती है। इसमें प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों का वेतन भी शामिल है। इसके अलावा स्कूलों के लिए अन्य संसाधन भी दिए जाते हैं।
साढ़े छह लाख पद स्वीकृत हुए-मंत्रालय के अनुसार 2009 से अब तक करीब साढ़े छह लाख शिक्षकों के पद स्वीकृत हुए हैं। ये पद विभिन्न विषयों के शिक्षकों और अतिरिक शिक्षकों के हैं। शिक्षकों के 120284 तथा अतिरिक्त शिक्षकों के 644826 पद शामिल थे। इन पदों के आरएसएमए में आते ही केंद्र से वेतन की धनराशि जारी होने लगी।
डेढ़ लाख पद रिक्त-मंत्रालय ने देश भर से 2015-16 में माध्यमिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों का ब्यौरा जुटाए। इसमें पता चला कि 146562 पद खाली पड़े हुए हैं। जबकि उनके लिए धनराशि राज्यों को जा रही है। जाहिर है कि राज्य इसे अन्य मद में खर्च कर रहे हैं या फिर अपना हिस्सा कम खर्च कर रहे हैं।
तैनात शिक्षकों का ही वेतन मिलेगा-इन आंकड़ों के सामने आने के बाद मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों की वास्तविक तैनाती के आधार पर ही राज्यों को धनराशि जारी की जाए। राज्यों को कहा गया है कि यदि वास्तव में वे अपने हिस्से में आवंटित पूरी राशि हासिल करना चाहते हैं तो तुरंत शिक्षकों की नियुक्त करें।
केब में चर्चा संभव-सूत्रों के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की भी संभावना है।
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राज्य राशि तो ले रहे हैं लेकिन पदों को नहीं भर रहे हैं। इसे खफा केंद्र सरकार ने कहा कि जो शिक्षक कार्यरत हैं, उन्हीं के वेतन के लिए धनराशि राज्यों को मिलेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार 2009 में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शुरू किया था। जिसके लिए केंद्र से राज्यों को माध्यमिक शिक्षा के लिए धनराशि दी जाती है। इसमें प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों का वेतन भी शामिल है। इसके अलावा स्कूलों के लिए अन्य संसाधन भी दिए जाते हैं।
साढ़े छह लाख पद स्वीकृत हुए-मंत्रालय के अनुसार 2009 से अब तक करीब साढ़े छह लाख शिक्षकों के पद स्वीकृत हुए हैं। ये पद विभिन्न विषयों के शिक्षकों और अतिरिक शिक्षकों के हैं। शिक्षकों के 120284 तथा अतिरिक्त शिक्षकों के 644826 पद शामिल थे। इन पदों के आरएसएमए में आते ही केंद्र से वेतन की धनराशि जारी होने लगी।
डेढ़ लाख पद रिक्त-मंत्रालय ने देश भर से 2015-16 में माध्यमिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों का ब्यौरा जुटाए। इसमें पता चला कि 146562 पद खाली पड़े हुए हैं। जबकि उनके लिए धनराशि राज्यों को जा रही है। जाहिर है कि राज्य इसे अन्य मद में खर्च कर रहे हैं या फिर अपना हिस्सा कम खर्च कर रहे हैं।
तैनात शिक्षकों का ही वेतन मिलेगा-इन आंकड़ों के सामने आने के बाद मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों की वास्तविक तैनाती के आधार पर ही राज्यों को धनराशि जारी की जाए। राज्यों को कहा गया है कि यदि वास्तव में वे अपने हिस्से में आवंटित पूरी राशि हासिल करना चाहते हैं तो तुरंत शिक्षकों की नियुक्त करें।
केब में चर्चा संभव-सूत्रों के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की भी संभावना है।
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