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डीआइओएस के खिलाफ क्यों नहीं दर्ज की प्राथमिकी? यौन उत्पीड़न में सरकारी कार्रवाई से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक इलाहाबाद राजकुमार यादव के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप पर राज्य सरकार से कार्रवाई की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि यादव को निलंबित क्यों नहीं किया गया और अपराध की प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने नीलेश कुमार मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मनीष गोयल व राधेकृष्ण पांडेय ने बहस की। उनका कहना है कि सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक ने शिकायतों की जांच की जिसमें छह महिला अध्यापिकाओं के उत्पीड़न की रिपोर्ट दी गई है।
याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने एवं विभागीय जांच करने की मांग की गई है। कोर्ट ने स्थायी अधिवक्ता से जानकारी मांगी थी कि क्या कार्रवाई की गई। शिकायत यादव के बीएसए पद पर तैनाती के दौरान की गई है। अब वह डीआइओएस हैं। कोर्ट ने कड़ा लहजा अपनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विशाखा केस की गाइड लाइन के तहत विभागीय व आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। जिला विद्यालय निरीक्षक के अधिवक्ता को कोर्ट ने सुनने से इन्कार करते हुए कहा कि सरकार कार्रवाई करे नहीं तो आदेश दिया जाएगा। स्थायी अधिवक्ता का कहना था कि विभागीय रिपोर्ट नियमानुसार नहीं है। डीएम ने अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख पर जिम्मेदार अधिकारी को पत्रवली के साथ मौजूद रहने का निर्देश दिया है।

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