latest updates

latest updates

10 साल से ज्यादा नहीं रह सकेंगे प्रिंसिपल

लखनऊ यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल बनने की ख्वाहिश रखने वालों का करारा झटका दिया है। यूजीसी के नए नियमों के अनुसार डिग्री कॉलेजों में कोई भी दस साल से ज्यादा के लिए प्रिंसिपल नहीं बन सकेगा। इस अवधि में उसे पांच साल बाद रिव्यू से गुजरना होगा।
उसमें सफल होने के बाद ही वह अगले पांच साल तक अधिकतम प्रिंसिपल के पद पर रहेगा।
विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कॉलेजों में शैक्षिक पदों पर नियुक्ति के लिए यूजीसी की ओर से 2010 में रेगुलेशन बनाए गए हैं। यूजीसी से ग्रांट लेने वाली सभी संस्थाएं इस प्रक्रिया का पालन करती हैं। यूजीसी ने रेगुलेशन के क्लॉज 5.6.1 (d) में संशोधन कर प्रिंसिपल की नियुक्ति प्रक्रिया में व्यापक बदलाव कर दिए हैं। नए नियम के अनुसार कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति की अवधि पांच साल होगी। उसे अधिकतम पांच साल का एक टर्म और मिल सकेगा। इसे पुनर्नियुक्ति मानी जाएगी और इसके लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी जो प्रिंसिपल की नियुक्ति के समय अपनाई जाती है।
आसान नहीं होगा रिव्यू

पांच साल के लिए नियुक्ति पाने और कार्यकाल को पांच साल और बढ़वाने के लिए रिव्यू की प्रक्रिया भी आसान नहीं होगी। पहली बार यूजीसी ने एक्सटर्नल रिव्यू कराने का भी फैसला किया है। इस रिव्यू टीम में यूजीसी और संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति भी नामित सदस्य होंगे। नामित सदस्यों का चयन एक्सीलेंस के लिए चुने गए कॉलेजों, स्वायत्त कॉलेजों या नैक में ए ग्रेड पाने वाले कॉलेजों से ही होगा। कमिटी रिव्यू में किन मानकों पर ध्यान देगी इसको यूजीसी अभी अलग से नोटिफाई करेगा।

बढ़ेगी मुसीबतें

डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति जो मौजूदा व्यवस्था है उसके अनुसार एक बार प्रिंसिपल बन जाने के बाद अभ्यर्थी रिटायरमेंट तक पद पर बना रहता है। इनकी नियुक्ति उप्र उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा इंटरव्यू के आधार पर की जाती है। अब एक्सटर्नल रिव्यू भी करना पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत प्रिंसिपल के पद से हटने के बाद फिर से समायोजन की होगी। कोई शिक्षक जब प्रिंसिपल बनता है तो उसके पुराने कॉलेज व पद पर उसका धारणाधिकार एक साल बना रहता है। इसके मायने यह हैं कि एक साल के भीतर वह अपने पद पर लौट सकता है। इसके बाद यह अधिकार खत्म हो जाता है। ऐसे में अगर पांच साल बाद वह प्रिंसिपल के पद से हटाया जाता है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसका समायोजन कैसे होगा? इसलिए यूजीसी को कॉलेजों में शिक्षक के पदों पर धारणाधिकार की समय सीमा भी बढ़ानी होगी।

- 138 गवर्ननमेंट कॉलेज हैं यूपी में
- 338 हैं एडेड कॉलेज
प्रो़ एसडी शर्मा, अध्यक्ष प्राचार्य परिषद ने कहा, निर्णय में कई व्यवहारिक कठिनाइयां हैं। दोबारा नियुक्ति होने पर संबंधित शिक्षक की उसके पुराने पद पर वापसी कैसे होगी? इसके लिए नियमों में बदलाव करना होगा।
प्रभात मित्तल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उच्चतर सेवा आयोग ने कहा, यूजीसी के निर्देशों के संदर्भ में हर सरकार से राय मांगेंगे। इसे लागू करने के लिए मौजूदा नियमों में परिवर्तन करना होगा। इसके आधार पर ही आगे प्रक्रिया अपनाई जा सकेगी।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

latest updates