लखनऊ यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल बनने की
ख्वाहिश रखने वालों का करारा झटका दिया है। यूजीसी के नए नियमों के अनुसार
डिग्री कॉलेजों में कोई भी दस साल से ज्यादा के लिए प्रिंसिपल नहीं बन
सकेगा। इस अवधि में उसे पांच साल बाद रिव्यू से गुजरना होगा।
उसमें सफल होने के बाद ही वह अगले पांच साल तक अधिकतम प्रिंसिपल के पद पर रहेगा।
आसान नहीं होगा रिव्यू
पांच साल के लिए नियुक्ति पाने और कार्यकाल को पांच साल और बढ़वाने के लिए रिव्यू की प्रक्रिया भी आसान नहीं होगी। पहली बार यूजीसी ने एक्सटर्नल रिव्यू कराने का भी फैसला किया है। इस रिव्यू टीम में यूजीसी और संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति भी नामित सदस्य होंगे। नामित सदस्यों का चयन एक्सीलेंस के लिए चुने गए कॉलेजों, स्वायत्त कॉलेजों या नैक में ए ग्रेड पाने वाले कॉलेजों से ही होगा। कमिटी रिव्यू में किन मानकों पर ध्यान देगी इसको यूजीसी अभी अलग से नोटिफाई करेगा।
बढ़ेगी मुसीबतें
डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति जो मौजूदा व्यवस्था है उसके अनुसार एक बार प्रिंसिपल बन जाने के बाद अभ्यर्थी रिटायरमेंट तक पद पर बना रहता है। इनकी नियुक्ति उप्र उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा इंटरव्यू के आधार पर की जाती है। अब एक्सटर्नल रिव्यू भी करना पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत प्रिंसिपल के पद से हटने के बाद फिर से समायोजन की होगी। कोई शिक्षक जब प्रिंसिपल बनता है तो उसके पुराने कॉलेज व पद पर उसका धारणाधिकार एक साल बना रहता है। इसके मायने यह हैं कि एक साल के भीतर वह अपने पद पर लौट सकता है। इसके बाद यह अधिकार खत्म हो जाता है। ऐसे में अगर पांच साल बाद वह प्रिंसिपल के पद से हटाया जाता है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसका समायोजन कैसे होगा? इसलिए यूजीसी को कॉलेजों में शिक्षक के पदों पर धारणाधिकार की समय सीमा भी बढ़ानी होगी।
- 138 गवर्ननमेंट कॉलेज हैं यूपी में
- 338 हैं एडेड कॉलेज
प्रो़ एसडी शर्मा, अध्यक्ष प्राचार्य परिषद ने कहा, निर्णय में कई व्यवहारिक कठिनाइयां हैं। दोबारा नियुक्ति होने पर संबंधित शिक्षक की उसके पुराने पद पर वापसी कैसे होगी? इसके लिए नियमों में बदलाव करना होगा।
प्रभात मित्तल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उच्चतर सेवा आयोग ने कहा, यूजीसी के निर्देशों के संदर्भ में हर सरकार से राय मांगेंगे। इसे लागू करने के लिए मौजूदा नियमों में परिवर्तन करना होगा। इसके आधार पर ही आगे प्रक्रिया अपनाई जा सकेगी।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
उसमें सफल होने के बाद ही वह अगले पांच साल तक अधिकतम प्रिंसिपल के पद पर रहेगा।
- पाठक द्वारा 72825 को भी वैटज पर करवाने की चाल !!! ANIL KUNDU JI की post ज़रूर पढ़े
- शिक्षामित्रों के संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का पत्र देखें
- 72825 पर रत्ती भर खतरा नही , हम शिक्षक हैं ,वह भी अंतरिम आदेश से बंधे,जज नही
- हाईकोर्ट ने याचियों को तीन माह में सहायक अध्यापक पर नियुक्त करने का निदेशक को दिया आदेश
- अप्रैल व अक्टूबर में 14-14 दिन अवकाश, एक-दो दिन छुट्टी लेकर ले सकते हैं लंबे अवकाश का आनंद, छुट्टियों की वजह से सरकारी नौकरी प्राइवेट पर भारी रहती है
पांच साल के लिए नियुक्ति पाने और कार्यकाल को पांच साल और बढ़वाने के लिए रिव्यू की प्रक्रिया भी आसान नहीं होगी। पहली बार यूजीसी ने एक्सटर्नल रिव्यू कराने का भी फैसला किया है। इस रिव्यू टीम में यूजीसी और संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति भी नामित सदस्य होंगे। नामित सदस्यों का चयन एक्सीलेंस के लिए चुने गए कॉलेजों, स्वायत्त कॉलेजों या नैक में ए ग्रेड पाने वाले कॉलेजों से ही होगा। कमिटी रिव्यू में किन मानकों पर ध्यान देगी इसको यूजीसी अभी अलग से नोटिफाई करेगा।
बढ़ेगी मुसीबतें
डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति जो मौजूदा व्यवस्था है उसके अनुसार एक बार प्रिंसिपल बन जाने के बाद अभ्यर्थी रिटायरमेंट तक पद पर बना रहता है। इनकी नियुक्ति उप्र उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा इंटरव्यू के आधार पर की जाती है। अब एक्सटर्नल रिव्यू भी करना पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत प्रिंसिपल के पद से हटने के बाद फिर से समायोजन की होगी। कोई शिक्षक जब प्रिंसिपल बनता है तो उसके पुराने कॉलेज व पद पर उसका धारणाधिकार एक साल बना रहता है। इसके मायने यह हैं कि एक साल के भीतर वह अपने पद पर लौट सकता है। इसके बाद यह अधिकार खत्म हो जाता है। ऐसे में अगर पांच साल बाद वह प्रिंसिपल के पद से हटाया जाता है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसका समायोजन कैसे होगा? इसलिए यूजीसी को कॉलेजों में शिक्षक के पदों पर धारणाधिकार की समय सीमा भी बढ़ानी होगी।
- 138 गवर्ननमेंट कॉलेज हैं यूपी में
- 338 हैं एडेड कॉलेज
प्रो़ एसडी शर्मा, अध्यक्ष प्राचार्य परिषद ने कहा, निर्णय में कई व्यवहारिक कठिनाइयां हैं। दोबारा नियुक्ति होने पर संबंधित शिक्षक की उसके पुराने पद पर वापसी कैसे होगी? इसके लिए नियमों में बदलाव करना होगा।
प्रभात मित्तल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उच्चतर सेवा आयोग ने कहा, यूजीसी के निर्देशों के संदर्भ में हर सरकार से राय मांगेंगे। इसे लागू करने के लिए मौजूदा नियमों में परिवर्तन करना होगा। इसके आधार पर ही आगे प्रक्रिया अपनाई जा सकेगी।
- UPTET SHIKSHAMITRA के बिच हुई 7 मिनट सुनवाई : 7 मिनट में क्या हुआ शिक्षामित्र लीडर के कलम से
- सुप्रीम कोर्ट आपडेट: आज SLP No 915/2016 जितेन्द्र सिंह सेंगर बनाम राज्य सरकार: गाजी इमाम आला की कलम से
- आज शिक्षामित्र समाज को 3 लोगो ने दुखी किया- प्राथमिक शिमि संघ, राज्य सरकार और न्यायपालिका
- शिक्षा मित्र प्रशिक्षण और TET मैटर पर आज हुई सुनवाई का सार
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines