महात्त्वपूर्व विषय : तृतीय फेस , सुनवाई अपडेट : फैसला क्या होगा अब इसे न्यायालय पर छोड़ दिया जाए

महात्त्वपूर्व विषय :
तृतीय फेस , सुनवाई अपडेट :
पिछले छह वर्षों की एक संघर्ष गाथा दिनांक 19 मई 2017 को अंतिम सुनवाई के रूप में सुप्रीम कोर्ट में सम्पन्न हुई ।

दिनांक 17 मई की सुनवाई में जिन मुकदमों पर सुनवाई नही हुई थी वे मुकदमे दिनांक 19 मई को लगे थे ।
रजिस्ट्री ने उसमें भी जिसको छोड़ दिया था कोर्ट ने बोर्ड पर उसे मेंशन माना ।
सबसे पहले राम कुमार पटेल की SLP(Civil)CC 13922/16 पर सुनवाई हुई , जस्टिस श्री गोयल ने रिजर्वेशन पालिसी से हटकर बीएड शिक्षामित्रों को 72825 भर्ती में दस फीसदी शीट देने पर गहरी आपत्ति जताई ।
जस्टिस श्री ललित ने कहा कि हम आदेश में लिख देंगे , किसी के साथ गलत नही होने पायेगा , जस्टिस श्री ललित ने सीनियर अधिवक्ता को आश्वस्त किया कि हम आपके याचियों को राहत देंगे । इसकी मुख्य वजह यह रही कि जस्टिस श्री ललित 72825 में चयन पाने वाले 66000 लिस्ट के विरुद्ध हर संकट टाल रहे थे, साथ ही उनको जस्टिस श्री गोयल को भी संतुष्ट करना था ।
(इसके बावजूद मेरा मानना है कि देश मे 80 फीसदी लोग न्यायालय नही पहुंच पाते हैं । याची राहत वहीं मिलती है जहां दावेदार सीमित होते हैं , अतः जस्टिस श्री ललित यह तो तय है कि यदि 66000 लिस्ट डिस्टर्ब नही करेंगे तो 131 लोग को जॉब देंगे, मगर क्या प्रभावित 131 लोग या उससे सम्बद्ध अन्य इम्प्लीड लोग ही हैं ?
जो कोर्ट नही पहुंचे हैं उनको न्याय कैसे मिलेगा ?
मुझे याद है कि दरोगा भर्ती से जस्टिस विवेक बिरला ने व्हाइटनर यूजर को निकाल दिया था , जस्टिस श्री चंद्रचूड़ की पीठ ने भी राहत नही दी थी, मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि पद बढ़ाकर मैं व्हाइटनर यूजर को लेने के लिए तैयार हूं ।
जस्टिस श्री गोपाल गौड़ा ने आदेश किया कि मेरा आदेश नजीर के तौर पर प्रयुक्त नही होगा , हाई कोर्ट का आर्डर सही माना जायेगा मगर राज्य राहत देने को तैयार है तो जिन लोगों ने व्हाइटनर लगाया है उनके व्हाइटनर लगे उत्तर को निकाल दिया जाए , उसके बाद जो मेरिट लिस्ट में फाइट करे उसे छांटकर पद बढ़ाकर उसको नौकरी दी जाए परंतु मुख्य भर्ती में उसको स्थान न दिया जाए ।
इसपर जो व्हाइटनर नही लगाया था उसको व्हाइटनर वाले डिस्टर्ब भी नही कर पाए और व्हाइटनर वालों को अतिरिक्त रिक्ति भी मिली । अब कोर्ट क्या करेगी यह उनकी विषयवस्तु है । अब मैं यह कहूँ कि मेरे 131 लोग जॉब पा जाएंगे और अन्य लोग जो मुझसे नही जुड़े हैं वो जॉब नही पाएंगे तो यह गलत बात होगी । न्यायपालिका सभी पक्षों का हित देखेगी, मगर मेरे 131 लोगों के साथ नाइंसाफी नही होगी इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ , साथ ही इसमें अन्य लोग भी इम्प्लीड भी हैं, द्वितीय फेस में अपनी बड़ी याचिका सुनी गई थी , उसको भी कोर्ट ने स्वीकार किया था ।)
उसके बाद 99132 अकादमिक मेरिट से हुई भर्तियों पर सुनवाई शुरू हुई , सीनियर अधिवक्ता RS सूरी ने टीईटी को मात्र एक पात्रता परीक्षा बताया , अन्य वकील भी उनके साथ मौजूद थे सभी तर्क दे रहे थे मगर टीईटी मेरिट या टीईटी वेटेज चाहने वालों की तरफ से मात्र सीनियर अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा थी , सरकार की तरफ से वेंकट रमणी जी थे जो कि राकेश मिश्रा जी द्वारा असिस्ट किये जा रहे थे कोर्ट में मौजूद थे ।
दिनेश द्विवेदी भी किसी प्राइवेट पार्टी की तरफ से मौजूद थे, पल्लव सिसोदिया भी मौजूद थे ।
जस्टिस श्री ललित जी ने कहा कि एक परीक्षा से लोग तमाम बड़ी नौकरी पा रहे हैं तो मात्र टीईटी से टीचर क्यों नही बन सकते हैं ?
अधिवक्ता सूरी कुछ असहज हुए लेकिन कहा कि अन्य चयन के मानक से 99132 लोग नौकरी पा चुके हैं ।
उस वक़्त तक लग रहा था कि SLP खारिज होगी और 99132 भर्ती डूब जाएगी, कोर्ट उठने के मूड में थी मगर मीनाक्षी अरोरा ने कहा कि लॉर्डशिप अमेंडमेंट 15 रद्द था अर्थात अपेंडिक्स प्रथम रद्द थी फिर भी सरकार ने 99132 भर्ती कर डाली ।
जस्टिस श्री ललित ने कहा कि मैडम टेक्निकल पॉइंट पर न जाइये उसे मैं समझ रहा हूँ ।
मैडम ने कहा कि अलग-अलग यूनिवर्सिटी बोर्ड से चयन में असमानता है तो जस्टिस श्री ललित ने कहा कि यह भी कोई मुद्दा नही है ।
आप बताइए कि गाइडलाइन का 9ब राज्य पर बाध्यकारी क्यों है ?
मेरिट पर बात हो , मगर मैडम जवाब न दे सकीं तो अतिउत्साह में जस्टिस श्री ललित ने सोचा कि NCTE वेटेज का सपोर्ट करेगी और NCTE से पूंछ लिया ।
NCTE की कॉउंसिल आशा गोपालन नायर ने कहा कि
NCTE राज्य को TET वेटेज के लिए बाध्य नही करती है ।
इतने में जस्टिस श्री ललित ने कहा कि आपका सबसे बड़ा अधिकारी कौन है उससे हलफनामा लगवाइए ।
इसके बाद पल्लव सिसोदिया ने कहा कि NCTE के जवाब से स्पष्ट है कि मेरा संशोधन 16 बच गया है ।
मेरा विज्ञापन जो कि 7 दिसंबर 2012 को आया था उसे बहाल कीजिए , हमारी काउंसलिंग हुई है तो जस्टिस ने कहा कि मात्र आवेदन से नौकरी का अधिकार नही हो जाता है उसके बाद भी बहुत से योग्य लोग आ गए होंगे लेकिन आपकी TET वैलिडिटी सहित सम्पूर्ण मानक/योग्यता उक्त तिथि से ही कंसीडर होंगे ।
इस पर दिनेश द्विवेदी ने कहा कि 72825 की जो भर्ती सम्पन्न हुई है उसमें भी आवेदन के पूर्व ही स्टे हो गया था , सारी भर्ती आपने कराई है और आपके निर्णय के आधीन है ।
कोर्ट ने कहा कि आप स्टेट की तरफ से हो तो उन्होंने कहा कि कहां इतना भाग्यशाली हूँ , स्टेट की तरफ से रमणी साहब हैं ।
कोर्ट ने 72825, 99132 और 172000 जोड़कर कहा कि 3.40 लाख पद विवादित , क्यों न सबको जोड़कर एक नई भर्ती करा दी जाए ?
इतने में किसी ने पैब की 1.42 लाख की रिक्ति की रिपोर्ट
रख दी और कहा कि इसे भी जोड़ दीजिये तो कोर्ट ने कहा कि बड़े एडवांस हो आप लोग सरकार से पहले भी सब कुछ जान लेते हो ।
सुनवाई पूर्ण हुई ।
फैसला क्या होगा अब इसे न्यायालय पर छोड़ दिया जाए ।
मेरे दो मुकदमे पुराने विज्ञापन को लेकर थे और एक नया विज्ञापन को लेकर था ।
कोर्ट ने सबको सुना, 66000 डिस्टर्ब न हुई तो सबको राहत और डिस्टर्ब हुई तो सबको वर्तमान चयनित/अचयनित सबके साथ फाइट करके नौकरी पाने का मौका मिलेगा ।
संभवतः आज NCTE ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया और वेटेज को राज्य के अधिकार क्षेत्र में सौंप दिया है, मगर मेरी समझ से NCTE का जवाब गोल-मटोल है । किसी भी पक्ष की तरफ पूर्णतया स्पष्ट नही है ।
मेरी टीम के लीगल सलाहकार धीरज दुबे ने बाहर आकर SK पाठक जी को डाटा और कहा कि बगैर वकील के मुकदमा लड़ रहे हो ?
वर्ष 2015 में पीयूष पांडेय जी ने यदि 9ब बाध्यकारी है तो उसके विरुद्ध सोचना शुरू किया था और वर्ष 2014 में मैंने (राहुल पांडे) यदि 72825 भर्ती पर सर्विस रूल एप्लीकेबल है तो उसकी तत्कालीन चयन प्रक्रिया के विरुद्ध सोचना शुरू किया था ।
अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करते हैं, अंत तक संघर्ष किया गया , सफलता , असफलता ईश्वर के हाथ मे है ।
धन्यवाद ।
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