कुल मिलाकर शिक्षामित्रों का पक्ष बहुत मज़बूत , समायोजन निरस्त होना असम्भव है अब : द्विवेदी विवेक

कुल मिलाकर शिक्षामित्रों का पक्ष बहुत मज़बूत हैं इतना गजब का तर्क हैं उनके पास की लॉर्डशिप चंद्रचूड़ साहब ने सभी समायोजित शिक्षामित्रों के घर घर जाकर उनको नोटिस नहीँ दिया था की तुम्हारा समायोजन अवैध है जबकि bsa साहब सुबह सुबह खेत खेत ढूँढढूँढ कर नियुक्ति पत्र देने आये थे !
अब ये कौन सी बात हुई की देना हुआ तो ढूँढ लिये और जब बाहर करना हुआ तब नही ढूँढ पाये ! तो लॉर्ड शिप इस तर्क के आधार पर समायोजन वैध है ! दूसरा तर्क जेठ मालानी साहब का की लॉर्डशिप प्राइमरी में ज्यादा पढ़े लिखे लोगों की क्या जरूरत है सिर्फ क ख ग घ ही तो पढ़ाना है काम चल जायेगा किसी तरह ! और एक तर्क साहब 14 साल तक पढ़ाते पढ़ाते हम लोग पारंगत हो गये है और हमको कोई भी परीक्षा देने की जरूरत नहीँ है !आप चाहे तो अपने कोर्ट मास्टर को जज बना सकते है आपका ऑर्डर लिखते पढ़ते उनको अनुभव हो गया है न्यायमूर्तियों वाला !
मतलब एक करोड़ के वकीलों के ऐसे अजब गजब तर्क है ! और इन तर्को से इन लोगों का पक्ष इतना मज़बूत हो गया है की इनका समायोजन निरस्त होना असम्भव है अब
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