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उत्तर प्रदेश में शिक्षक बनने के लिए बीटीसी नहीं डीएलएड की डिग्री जरूरी

इलाहाबाद:प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए अब बीटीसी नहीं बल्कि डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की डिग्री लेनी होगी। बेसिक शिक्षा परिषद ने शुक्रवार को हुई बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास कर दिया है।
अब शासन से मंजूरी के बाद प्रदेश में बीटीसी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए डीएलएड ही अनिवार्य अर्हता होगी।
NCTE ने प्रदेश के बीटीसी कालेजों को डीएलएड की मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। ऐसा पूरे देश में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए एक जैसे मानक तय करने के लिहाज से किया गया है। जिससे भर्ती में भ्रम और विवाद की स्थिति न बने। राष्ट्रीय शिक्षा परिषद ने 28 नवंबर 2014 को जारी अपनी अधिसूचना में यह साफ कर दिया था कि प्राथमिक अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से संचालित हो रहे हैं जिसे अब सिर्फ एक ही नाम डीएलएड से जाना जाएगा।
कई प्रदेशों ने अपने प्राथमिक अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में इस अधिसूचना के बाद बदलाव भी कर लिया था, लेकिन यूपी में अब तक बीटीसी के नाम से ही इसे जाना जाता रहा है। एनसीटीई के निर्देश पर बीटीसी का आयोजन करने वाले सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने 11 मई को इसके लिए परिषद को पत्र लिखा था।
सचिव संजय सिन्हा ने बताया कि बैठक में प्राथमिक शिक्षकों के ट्रांसफर पर भी चर्चा हुई और तय हुआ कि अन्तरजनपदीय तबादलों के लिए अब मौलिक नियुक्ति से तीन वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक इसके लिए अर्ह होंगे वहीं जिले के अंदर होने वाले ट्रांसफर के लिए डीएम की अध्यक्षता में बनने वाली समिति के स्थान पर डायट के प्राचार्य या सहायक मंडलीय निदेशक बेसिक की अध्यक्षता वाली कमिटि को यह अधिकार मिले। जिलों के अंदर होने वाले ट्रांसफर पहले होंगे और इसके बाद ही अन्तरजनपदीय ट्रांसफर किए जाएंगे।
ट्रांसफर से पहले सरप्लस स्टाफ का समायोजन भी किया जाएगा। फिलहाल 30 अप्रैल की छात्र संख्या के आधार पर ही पद निर्धारण होगा। इसके बाद तीन जोर में बांटकर जिले के अंदर ट्रांसफर किए जाएंगे। ट्रांसफर में दिव्यांगों, दस वर्ष की सेवा कर चुके शिक्षकों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी। बैठक में 8वीं कक्षा में डेंगू की रोकथाम और बचाव से जुड़ा कोर्स शामिल करने पर भी सहमित बनी है।
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