Shiksha mitron के लिए सलाह , ध्यान से पढ़ें -----फैसला 10 जुलाई को

Shiksha mitron के लिए सलाह , ध्यान से पढ़ें -----///
जॉब अगर नियम विरुद्ध हो तो उसे इस आधार पर नही बचा सकते कि आप लगे हुए हैं , और इतने सालों से लगे हैं , यही सोचा होता तो , हाई कोर्ट न्याय नही कर पाता , उमा देवी केस भी इसी की व्याख्या करता है , दिमाग
लगा कर पढ़ लेना , और सुनो , ये 72825 तुम sm और सरकार ने पूरी नहीं कराई , ये खुद हाई कोर्ट और sc से हुई है , इसीलिए इसको तुम जैसे लोग रद्द बहुत करा रहे थे , पर करा न सके , खुद नियम विरुद्ध हो इसीलिए , फिर क्यों तुम जैसे लोगों के वकीलों ने क्या कोशिश नही की थी 72825 को रद्द कराने की , क्या जज साहब सहमत दिखे , खुद की नियुक्ति सारे नियमों को ताक पर रख कर हुई , उसको माफ करने का मतलब संविधान पर सवाल , न्यायपालिका पर सवाल , और रही हम बीएड याचियों की बात , तो ये काम तुम्हारा नही कि किसको क्या मिलना चाहिए , ये न्यायपालिका खुद तय करेगी , कि किस व्यक्ति का हित और हक़ प्रभावित हुआ उसको क्या और कैसा इंसाफ मिलना चाहिए , और ये गधे जैसी बातें कंही और किया करो , तुम्हारा समायोजन 100% नही 1000 % रद्द होगा , और उस ट्रेनिंग को जिस पर कूदते हो , वो तुम्हारे गले मे टांग कर घूमने के काम आएगी , क्योंकि भले ही वो quash न हो पर उसका वजूद अब हाई कोर्ट के आदेश और sc के आने वाले आदेश से बिल्कुल खत्म है , सरकार से कहो कि हमारा मानदेय 40000 हज़ार कर दे , जो वाकई में करना भी चाहिए , क्योंकि तुम सरकार के लाडले और चहेते एम्प्लोयी हो , जिसने बेसिक में 15 साल झंडे गाड़े हैं , उसका इनाम तो मिलना ही चाहिए , पर पद सहायक अध्यापक का तुम्हे अगर sc ने दे दिया , तो तुम जैसे गधे , इतने हैं सब कोर्ट से अपने को घोड़ा बता कर , सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग को सच बता कर , अनावश्यक लाभ लेने के लिए , कोर्ट को मजबूर करेंगे , और कोर्ट ऐसा करने से रहा , क्योंकि कोर्ट सरकार की तरह नही सोचती , उसे संविधान की तरह सोचना और चलना पड़ता है , वरना कोर्ट कभी काम और न्याय के सिस्टम को सुचारू रूप से नही चला सकती ।
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