अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद। राजकीय इंटर कॉलेजों में एलटी ग्रेड
शिक्षक भर्ती से हजारों अभ्यर्थी वंचित रह जाएंगे। परीक्षा के आयोजन में एक
साल की देरी हो चुकी है।
राजकीय इंटर कॉलेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की अब तक सीधी भर्ती होती थी। यह भर्ती शिक्षा निदेशालय के माध्यम से होती थी। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से कराई जाएगी और अब इसके आयोजन का जिम्मा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को सौंपा गया है। इस निर्णय से पहले एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और तकरीबन दस हजार पदों के लिए साढ़े पांच लाख बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। अब उनके आवेदन का कोई मतलब नहीं रह गया है। आयोग लिखित परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार करा है और जल्द ही नए सिरे से विज्ञापन जारी कर फिर से आवेदन लिए जाएंगे। ऐसे में वर्ष 2017 में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वालों को वर्ष 2018 में फिर से इसके लिए आवेदन करना होगा। परीक्षा में एक साल की देरी होने के कारण तमाम अभ्यर्थी अधिकतम आयु सीमा भी पूरी कर लेंगे। ऐसे अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से वंचित होना पड़ेगा। आयोग का काम केवल परीक्षा करना है। आयु सीमा पर निर्णय लेने का अधिकार शासन के पास है और शासन की ओर से अब तक इस बाबत स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
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राजकीय इंटर कॉलेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की अब तक सीधी भर्ती होती थी। यह भर्ती शिक्षा निदेशालय के माध्यम से होती थी। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से कराई जाएगी और अब इसके आयोजन का जिम्मा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को सौंपा गया है। इस निर्णय से पहले एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और तकरीबन दस हजार पदों के लिए साढ़े पांच लाख बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। अब उनके आवेदन का कोई मतलब नहीं रह गया है। आयोग लिखित परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार करा है और जल्द ही नए सिरे से विज्ञापन जारी कर फिर से आवेदन लिए जाएंगे। ऐसे में वर्ष 2017 में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वालों को वर्ष 2018 में फिर से इसके लिए आवेदन करना होगा। परीक्षा में एक साल की देरी होने के कारण तमाम अभ्यर्थी अधिकतम आयु सीमा भी पूरी कर लेंगे। ऐसे अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से वंचित होना पड़ेगा। आयोग का काम केवल परीक्षा करना है। आयु सीमा पर निर्णय लेने का अधिकार शासन के पास है और शासन की ओर से अब तक इस बाबत स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
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