शिक्षामित्रों के सम्बन्ध में हिमांशु राणा की फेसबुक पोस्ट, उत्तराखंड में शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर जताया खेद

अत्यंत खेदजनक :- मा० सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी अंतरिम आदेश पर ये कार्य हो रहा है ठीक वैसे ही जैसे मा० न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी जी की एकल पीठ से ट्रेनिंग पर स्टे और आदेश रिजर्व होने के पश्चात भी डीबी ने अंतरिम आदेश पर ट्रेनिंग कराने का आदेश दिया था जिसमे एकल पीठ से आने वाले निर्णय को अंतिम माना जाएगा कह कर के ट्रेनिंग कराई थी और आज जीवित भी है |
बात रही केंद्र द्वारा टीईटी से छूट की तो एकल पीठ में जो भी हुआ हो वो हुआ होगा ---> अब तो मा० सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भी समक्ष है पर न जाने लड़ रहे पैरवीकार या सरकार क्यों सबकुछ छिपाकर ठीक वैसे ही कार्य कर रहे हैं जैसे वोट-बैंक के लालच में सत्ता द्वारा उत्तरप्रदेश में हुआ |
बनाये गए नियमों में से टीईटी से छूट को अनुच्छेद 21 के विपरीत माना गया है जिसके अनुसार विद्यार्थियों के लिए योग्य शिक्षकों (टीईटी उत्तीर्ण) को रखने की बात मा० सर्वोच्च न्यायालय ने 25 जुलाई को निर्णय में कही है |
कहीं न कहीं न्यायप्रणाली का भी गैर-जिम्मेदाराना रवैया ऐसी स्थिति-परिस्थितियों को जन्म दे रही है जिससे न्याय पाने में विलम्ब होता है और सही लोग पीछे रह जाते हैं |
अब इस खबर से उत्तरप्रदेश के शिक्षामित्रों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई होगी 😁😁😁😁😁 और मेरे अनुसार अनुच्छेद 32 में पुनः जाकर देहरादून वाली फाइल लगाएं ताकि उनके लिए भी निर्णय जल्दी हो सके 😜😜😜😜😜 |
📝 Himanshu Rana

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