कहा गया कि सरकार का यह निर्णय मनमाना, अतार्किक और राजनीतिक उद्देश्यों से लिया गया है। संशोधित नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव से नहीं लागू किया जा सकता है। याचीगण ने 2016 में जारी विज्ञापन के तहत आवेदन किया था, जिसे सरकार ने रद्द कर दिया है।
इससे पूर्व नियुक्तियां संयुक्त निदेशक शिक्षा के द्वारा क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स के आधार पर की जा रही हैं। याचीगण ने पुराने नियम के तहत जारी विज्ञापनों में ही भर्ती के लिए आवेदन किया था।
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि भर्ती नियमावली में बदलाव करना सरकार का नीतिगत निर्णय है। क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स के बजाए लिखित परीक्षा के जरिए भर्ती करने से बेहतर अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा।
कोर्ट ने याचीगण की इस दलील को भी स्वीकार नहीं किया कि बाद में संशोधित नियमावली को पूर्व में जारी भर्ती विज्ञापनों में लागू किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त संशोधन को हाईकोर्ट की एक विशेष अपील में भी मंजूरी मिल चुकी है, इसलिए सरकार के समक्ष इसे लागू करने में कोई बाधा नहीं है।
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