पीसीएस-2012 परीक्षा को लेकर अभी भी लंबित हैं अदालती विवाद
प्रतियोगी छात्रों ने जताया असंतोष नियमों की जानकारी मांगी
345 पदों के लिए हुई थी परीक्षा
आयोग ने पीसीएस 2012 की परीक्षा 345 पदों के लिए ली थी, जिसमें छह हजार से अधिक अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे। एक हजार से अधिक अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल घोषित हुए थे। अंतिम परिणाम 2014 के शुरुआती महीने में घोषित किया गया था। प्रारंभिक परीक्षा के कई सवालों को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्तियां भी दाखिल की थीं।
दो आरटीआइ और दाखिल
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने दो आरटीआइ और दाखिल की हैं। इनमें पूछा गया है कि मुख्य परीक्षा की कापियां अंतिम परिणाम आने के कितने दिन बाद तक सूचना अधिकार कानून के तहत देखी जा सकती हैं। मुख्य परीक्षा की कापियों को नष्ट करने की प्रक्रिया क्या है और इसका आदेश अंतिम रूप से कौन जारी करता है।
प्रतियोगी छात्रों ने जताया असंतोष नियमों की जानकारी मांगी
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने तमाम मामले लंबित होने के बावजूद पीसीएस-2012 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जला दीं। इससे प्रतियोगी छात्रों में असंतोष व्याप्त है। उनका आरोप है कि आयोग ने साक्ष्यों को नष्ट करना शुरू कर दिया है। वैसे आयोग का तर्क है कि उक्त उत्तर पुस्तिकाओं को संरक्षित रखने की समय सीमा समाप्त हो गई थी।
यह मामला पीसीएस-2012 के एक अभ्यर्थी की आरटीआइ के जरिए सामने आया। अभ्यर्थी विजय प्रकाश मिश्र ने आयोग से अपनी उत्तर पुस्तिका के स्वयं अवलोकन के लिए आयोग के सूचना अधिकार कानून के तहत आवेदन दिया था। आयोग ने इस पर चुप्पी साधे रखी। फिर विजय की प्रथम अपील पर आयोग के अनुसचिव ने अवगत कराया कि पीसीएस मुख्य परीक्षा-2012 की उत्तर पुस्तिकाएं 20 मार्च 2015 को नष्ट कर दी गई हैं। अत: उन्हें दिखा पाना संभव नहीं हैं।
हालांकि आयोग के अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि परीक्षा की अधिसूचना के तीन साल और रिजल्ट आने के एक साल तक उत्तर पुस्तिकाओं को संरक्षित रखने का प्रावधान है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अयोध्या सिंह और मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हैं जिसमें अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल की सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच कराने की मांग भी शामिल है। ऐसी स्थिति में उत्तर पुस्तिकाओं को जलाया जाना जांच को प्रभावित करेगा। पीसीएस-2011 में एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों को वरीयता देने का मामला भी लंबित है। इसी के बाद आयोग ने सभी अभ्यर्थियों के अंक सार्वजनिक करना बंद कर दिया है।
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प्रतियोगी छात्रों ने जताया असंतोष नियमों की जानकारी मांगी
345 पदों के लिए हुई थी परीक्षा
आयोग ने पीसीएस 2012 की परीक्षा 345 पदों के लिए ली थी, जिसमें छह हजार से अधिक अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे। एक हजार से अधिक अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल घोषित हुए थे। अंतिम परिणाम 2014 के शुरुआती महीने में घोषित किया गया था। प्रारंभिक परीक्षा के कई सवालों को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्तियां भी दाखिल की थीं।
दो आरटीआइ और दाखिल
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने दो आरटीआइ और दाखिल की हैं। इनमें पूछा गया है कि मुख्य परीक्षा की कापियां अंतिम परिणाम आने के कितने दिन बाद तक सूचना अधिकार कानून के तहत देखी जा सकती हैं। मुख्य परीक्षा की कापियों को नष्ट करने की प्रक्रिया क्या है और इसका आदेश अंतिम रूप से कौन जारी करता है।
प्रतियोगी छात्रों ने जताया असंतोष नियमों की जानकारी मांगी
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने तमाम मामले लंबित होने के बावजूद पीसीएस-2012 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जला दीं। इससे प्रतियोगी छात्रों में असंतोष व्याप्त है। उनका आरोप है कि आयोग ने साक्ष्यों को नष्ट करना शुरू कर दिया है। वैसे आयोग का तर्क है कि उक्त उत्तर पुस्तिकाओं को संरक्षित रखने की समय सीमा समाप्त हो गई थी।
यह मामला पीसीएस-2012 के एक अभ्यर्थी की आरटीआइ के जरिए सामने आया। अभ्यर्थी विजय प्रकाश मिश्र ने आयोग से अपनी उत्तर पुस्तिका के स्वयं अवलोकन के लिए आयोग के सूचना अधिकार कानून के तहत आवेदन दिया था। आयोग ने इस पर चुप्पी साधे रखी। फिर विजय की प्रथम अपील पर आयोग के अनुसचिव ने अवगत कराया कि पीसीएस मुख्य परीक्षा-2012 की उत्तर पुस्तिकाएं 20 मार्च 2015 को नष्ट कर दी गई हैं। अत: उन्हें दिखा पाना संभव नहीं हैं।
हालांकि आयोग के अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि परीक्षा की अधिसूचना के तीन साल और रिजल्ट आने के एक साल तक उत्तर पुस्तिकाओं को संरक्षित रखने का प्रावधान है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अयोध्या सिंह और मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हैं जिसमें अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल की सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच कराने की मांग भी शामिल है। ऐसी स्थिति में उत्तर पुस्तिकाओं को जलाया जाना जांच को प्रभावित करेगा। पीसीएस-2011 में एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों को वरीयता देने का मामला भी लंबित है। इसी के बाद आयोग ने सभी अभ्यर्थियों के अंक सार्वजनिक करना बंद कर दिया है।
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