बिना माडयूल के क्या पढ़ाना सीख रहे प्रशिक्षु शिक्षक
लखीमपुर : तमाम हूहुज्जत के बाद नौकरी पाए युवा अपने इस ट्रे¨नग पीरियड को शायद ही कभी भुला पाएं। जिले भर में ट्रेंड किए जा रहे चार हजार से ज्यादा महिला व पुरुष टीचरों को अब तक दिए गए प्रशिक्षण में ये ही पता नहीं कि उनको पढ़ाया क्या जा रहा है और तीन महीने के बाद उनको किस बात की परीक्षा देनी होगी। इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात ये है कि जो बड़े गुरुजी गुरुओं की नई खेप तैयार कर रहे हैं उनको अभी तक पूरे माडयूल ही नहीं मिल पाए हैं।
जिनको मिल पाए हैं वो अपने सभी ट्रेनर साथियों को मुहैया नहीं करा पाए हैं। 21 मई से शुरू हुए इस मेगा प्रशिक्षण में पूरे टाइम आखिर किस बात का प्रशिक्षण दिया जा रहा है या फकर वहां पर क्या चल रहा है इस सवाल पर डायट का सीधा जवाब नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक जिले भर की सभी 15 बीआरसी पर चल रहा ट्रेनी शिक्षकों का प्रशिक्षण किसी खानापूरी या सरकारी योजना सरीखा ही नजर आ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर नवोदित टीचर ये बताते नहीं थक रहे कि दस दिन में उन्होंने टी¨चग के क्या टिप्स लिए। भूसे की तरह कमरों में भरे जा रहे ट्रेनी इस प्रशिक्षण को किसी सजा से कम नहीं मान रहे। सबसे ज्यादा बुरा हाल महिलाओं और ऐसी महिलाओं जो अपने मासूमों को भी अपने साथ लाती है उनका है। पारा कभी 42 तो कभी उससे भी पार हो रहा है लेकिन खीरी जिले में ट्रे¨नग का कोई भी टाइम बदला नहीं गया। जानकार बताते हैं कि नियमानुसार पहले दिन से ही ट्रेनी को माडयूल के हिसाब ही सारे चैप्टर पढ़ाए जाने चाहिए थे। ताकि जब इन ट्रेनर की परीक्षा हो तो ये भी साफ हो पाए कि उनको पढ़ाने का कितना अनुभव मिल पाया है। लेकिन दस दिन गुजर जाने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया। जिले की किसी भी बीआरसी पर माडयूल तक मुहैया नहीं कराए जा सके। कहीं पर अगर माडयूल पहुंचे भी तो दो सौ से अधिक पन्नों के माडयूल की जिराक्स कापी सारे ट्रेनर को नहीं मिल पाई। पूरा टाइम फिर वो क्या पढ़ा रहे हैं या ट्रेनी क्या सीख रहे हैं इस सवाल पर कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा।
इनसेट::बिना ट्रे¨नग के ही ट्रेंड हो गए ट्रेनरशिक्षा विभाग के कारनामों का जहां पर अंत दिखे दरअसल वहां से उनकी शुरुआत नजर आती है। खामियों के अंबार से पटी पड़ी प्रशिक्षु टीचरों की ट्रे¨नग में एक नया किस्सा ये भी है कि जिन ट्रेनरों को बीआरसी पर चार हजार से ज्यादा नए टीचर तैयार करने हैं उनको ही ट्रेंड किए बिना प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी थमा दी गई हैं। सूत्र बताते हैं कि जिले से कुल 80 अनुभवी शिक्षकों को पहले ट्रेंड किया जाना था। जिसके बाद ही वह प्रशिक्षण के लिए फिट हो पाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ट्र नर को दो पालियों में प्रशिक्षति किया जाना था पर 40 मास्टर ट्रेनर बिना ट्रेंड हुए ही ट्रे¨नग दे रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है ये कोई बताने को राजी नहीं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
ऐसा नहीं है कि बिना माडयूल के ही प्रशिक्षण हो रहा है। कुछ माडयूल अभी आने हैं ये सही है पर जो भी उपलब्ध हैं वह ब्लाक हेड को दे दिए गए हैं और उनको ताकीद किया या है कि वो सभी अपने साथियों को भी उसी की जिराक्स मुहैया कराएं। जहां तक सवाल खामियों का है तो लगातार नजर रखी जा रही है। जहां जिस चीज की आवश्यकता है वहां उसे तत्काल मुहैया कराया जा रहा है।
उमेश कुमार मिश्र, डायट प्राचार्य
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
लखीमपुर : तमाम हूहुज्जत के बाद नौकरी पाए युवा अपने इस ट्रे¨नग पीरियड को शायद ही कभी भुला पाएं। जिले भर में ट्रेंड किए जा रहे चार हजार से ज्यादा महिला व पुरुष टीचरों को अब तक दिए गए प्रशिक्षण में ये ही पता नहीं कि उनको पढ़ाया क्या जा रहा है और तीन महीने के बाद उनको किस बात की परीक्षा देनी होगी। इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात ये है कि जो बड़े गुरुजी गुरुओं की नई खेप तैयार कर रहे हैं उनको अभी तक पूरे माडयूल ही नहीं मिल पाए हैं।
जिनको मिल पाए हैं वो अपने सभी ट्रेनर साथियों को मुहैया नहीं करा पाए हैं। 21 मई से शुरू हुए इस मेगा प्रशिक्षण में पूरे टाइम आखिर किस बात का प्रशिक्षण दिया जा रहा है या फकर वहां पर क्या चल रहा है इस सवाल पर डायट का सीधा जवाब नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक जिले भर की सभी 15 बीआरसी पर चल रहा ट्रेनी शिक्षकों का प्रशिक्षण किसी खानापूरी या सरकारी योजना सरीखा ही नजर आ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर नवोदित टीचर ये बताते नहीं थक रहे कि दस दिन में उन्होंने टी¨चग के क्या टिप्स लिए। भूसे की तरह कमरों में भरे जा रहे ट्रेनी इस प्रशिक्षण को किसी सजा से कम नहीं मान रहे। सबसे ज्यादा बुरा हाल महिलाओं और ऐसी महिलाओं जो अपने मासूमों को भी अपने साथ लाती है उनका है। पारा कभी 42 तो कभी उससे भी पार हो रहा है लेकिन खीरी जिले में ट्रे¨नग का कोई भी टाइम बदला नहीं गया। जानकार बताते हैं कि नियमानुसार पहले दिन से ही ट्रेनी को माडयूल के हिसाब ही सारे चैप्टर पढ़ाए जाने चाहिए थे। ताकि जब इन ट्रेनर की परीक्षा हो तो ये भी साफ हो पाए कि उनको पढ़ाने का कितना अनुभव मिल पाया है। लेकिन दस दिन गुजर जाने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया। जिले की किसी भी बीआरसी पर माडयूल तक मुहैया नहीं कराए जा सके। कहीं पर अगर माडयूल पहुंचे भी तो दो सौ से अधिक पन्नों के माडयूल की जिराक्स कापी सारे ट्रेनर को नहीं मिल पाई। पूरा टाइम फिर वो क्या पढ़ा रहे हैं या ट्रेनी क्या सीख रहे हैं इस सवाल पर कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा।
इनसेट::बिना ट्रे¨नग के ही ट्रेंड हो गए ट्रेनरशिक्षा विभाग के कारनामों का जहां पर अंत दिखे दरअसल वहां से उनकी शुरुआत नजर आती है। खामियों के अंबार से पटी पड़ी प्रशिक्षु टीचरों की ट्रे¨नग में एक नया किस्सा ये भी है कि जिन ट्रेनरों को बीआरसी पर चार हजार से ज्यादा नए टीचर तैयार करने हैं उनको ही ट्रेंड किए बिना प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी थमा दी गई हैं। सूत्र बताते हैं कि जिले से कुल 80 अनुभवी शिक्षकों को पहले ट्रेंड किया जाना था। जिसके बाद ही वह प्रशिक्षण के लिए फिट हो पाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ट्र नर को दो पालियों में प्रशिक्षति किया जाना था पर 40 मास्टर ट्रेनर बिना ट्रेंड हुए ही ट्रे¨नग दे रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है ये कोई बताने को राजी नहीं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
ऐसा नहीं है कि बिना माडयूल के ही प्रशिक्षण हो रहा है। कुछ माडयूल अभी आने हैं ये सही है पर जो भी उपलब्ध हैं वह ब्लाक हेड को दे दिए गए हैं और उनको ताकीद किया या है कि वो सभी अपने साथियों को भी उसी की जिराक्स मुहैया कराएं। जहां तक सवाल खामियों का है तो लगातार नजर रखी जा रही है। जहां जिस चीज की आवश्यकता है वहां उसे तत्काल मुहैया कराया जा रहा है।
उमेश कुमार मिश्र, डायट प्राचार्य
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