बीटीसी सत्र 2014-15 शून्य नहीं होगा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जागरण संवाददाता, लखनऊ : बीटीसी सत्र 2014-15 को शून्य घोषित नहीं किया जाएगा। इसमें दाखिले की प्रक्रिया पंद्रह दिनों के अंदर शुरू कर दी जाएगी। यह भरोसा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने स्वावित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के पदाधिकारियों को दिलाया। एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि 15 जुलाई से दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

एससीईआरटी निदेशक से मिलने से पहले राजधानी में हुसैनगंज स्थित एक होटल में एसोसिएशन द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें बीएड की एक जुलाई से शुरू हो रही पूल काउंसिलिंग का अभी तक शेड्यूल घोषित न करने पर हैरानी जताई गई। दूसरी ओर पूल काउंसिलिंग में छात्र की मर्जी का कॉलेज ही आवंटित किया जाए। शपथ पत्र लेकर दाखिले के नाम पर मनमानी न की जाए। वहीं पूल काउंसिलिंग के बाद बीएड में डायरेक्ट एडमिशन के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है, यह कम है। इसे कम से कम 30 जुलाई तक बढ़ाया जाए। बीएड में सिर्फ 52 हजार अभ्यर्थियों ने दाखिले के लिए काउंसिलिंग करवाई है और 1.12 लाख सीटें खाली हैं। ऐसे में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को भी डायरेक्ट एडमिशन दिया जाए। वहीं इंजीनियरिंग कॉलेजों की तरह बीएड कॉलेजों को भी सीटें न भरने पर स्नातक पास छात्रों को सीधे दाखिला देने की छूट मिले। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की बाध्यता खत्म की जाए।

दो साल का बीएड खत्म करने की मांग : उप्र स्वावित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि बीएड दो साल का होने के कारण ही 1.12 लाख सीटें खाली हैं आखिर कौन दोगुनी फीस व समय खर्च करके बीएड करेगा। ऐसे में इसे एनसीटीई से खत्म करे।

बीएड की तरह बीटीसी में दाखिले भी करवाए यूनिवर्सिटी : एसोसिएशन ने कहा कि बीटीसी का सत्र 2013-14 अभी तक चल रहा है और 2014-15 में दाखिले नहीं हुए। ऐसे में दो-दो साल लेट हो रहे सत्र के पीछे एससीईआरटी की लेटलतीफी ही मुख्य कारण है। ऐसे में बीएड की तर्ज पर बीटीसी में दाखिले का काम भी यूनिवर्सिटी को दिया जाए।लखनऊ विश्वविद्यालय में परीक्षा शुल्क के लिए दोहरे नियम होने के कारण सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्वावित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन इस मुद्दे पर कुलपति प्रो. एसबी निमसे से शिकायत दर्ज करवा चुका है। अब वह इस मसले पर शासन व राजभवन में भी शिकायत दर्ज करवाएगा।

एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि रेग्युलर कोर्स में बीए, बीएससी व बीकॉम के छात्रों से डेढ़ हजार व सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के छात्रों से यही परीक्षा शुल्क 3 हजार लिया जा रहा है। वहीं पीजी में भी दोगुने का अंतर है। विनय त्रिवेदी कहते हैं कि परीक्षा में कापियां रेग्युलर व सेल्फ फाइनेंस के छात्रों को एक जैसी मिलती हैं, प्रश्नपत्र व मार्कशीट में भी कोई अंतर नहीं है। ऐसे में परीक्षा शुल्क में दोगुने का अंतर क्यों किया गया। उन्होंने कहा कि कानपुर विवि में यह व्यवस्था थी, एसोसिएशन के विरोध के बाद इसे खत्म किया गया। अब हम लविवि में भी इस दोहरी नीति को बंद करवाएंगे।
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