एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए लगाए गए अंकपत्र बड़ी संख्या में
फर्जी पाये जाने की स्थिति ने कई बड़े सवाल पैदा कर दिए हैं। अब तक जो
अंकपत्र जांच में फर्जी पाये गए हैं उनमें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय सहित
अन्य विश्वविद्यालयों के अंकपत्र भी हैं लेकिन सबसे अधिक संख्या में फर्जी
अंकपत्र लखनऊ विश्वविद्यालय के मिले हैं। एलटी ग्रेड शिक्षकों के 530 पदों
पर भर्ती की जानी है। इसके लिए आए आवेदन
पत्रों में से 1500 अभ्यर्थियों की सूची बनाई गई थी। सूची के अधिकतर
अभ्यर्थियों के माध्यमिक स्तर की परीक्षाओं में प्राप्त अंकों और डिग्री
परीक्षाओं में मिले अंकों में भारी अंतर था। इसलिए तय किया गया कि इन्हें
सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय भेजा जाए। 1500 में से 584 अंक पत्र लखनऊ
विश्वविद्यालय सत्यापन के लिए आये थे। अब तक 214 अंकपत्रों की जांच हुई है
जिसमें से सिर्फ नौ ही दुरुस्त मिले हैं। शेष 205 अंकपत्र फर्जी हैं। यह
आंकड़ा चौकाने वाला है। आगे की जांच में भी यही रुझान रहा तो एलटी ग्रेड की
भर्ती ही फंस सकती है। इस बात की भी कोई गारंटी नहीं कि फर्जी अंकपत्र
वालों की छंटनी कर नई सूची तैयार करने के बाद जब उनके अंकपत्र सत्यापन के
लिए भेजे जाएंगे तो उनमें से और अंकपत्र फर्जी नहीं निकलेंगे।
इससे बड़े भी कई सवाल हैं। आश्चर्य है कि अंकपत्र भेजे जाने और सत्यापन की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। सिलसिलेवार फर्जीवाड़े की सूचना भी भेजी जा रही है लेकिन अभी तक यह प्रयास नहीं किया गया कि इस फर्जीवाड़े की जांच किसी तटस्थ एजेंसी को सौंपी जाए। एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अभी अंतिम चरण में नहीं पहुंची है। यह थोड़ा विलंबित भी हो जाए तो बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन ज्यादा जरूरी उन लोगों को पकड़ना और पूरे गिरोह का पर्दाफाश करना है जो फर्जी अंकपत्र तैयार कर रहे या करा रहे हैं। जिस प्रकार से एक ही विश्वविद्यालय के अंक पत्र बड़ी संख्या में फर्जी मिल रहे हैं, वह इस ओर भी इशारा करता है कि इसमें कोई संगठित गिरोह संलग्न हो सकता है। संभव हो कि एलटी ग्रेड शिक्षकों ही नहीं अन्य भर्ती परीक्षाओं में भी फर्जीवाड़ा किया गया अथवा किया जा रहा हो। अनुदेशक भर्ती परीक्षा सहित कई अन्य प्रकरणों में भी लखनऊ विश्वविद्यालय के अंकपत्रों में फर्जीवाड़ा मिल चुका है। यह उन लाखों बेरोजगारों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है जो मेहनत से पढ़ाई कर नौकरी की आस में ठोकरें खा रहे हैं।
इससे बड़े भी कई सवाल हैं। आश्चर्य है कि अंकपत्र भेजे जाने और सत्यापन की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। सिलसिलेवार फर्जीवाड़े की सूचना भी भेजी जा रही है लेकिन अभी तक यह प्रयास नहीं किया गया कि इस फर्जीवाड़े की जांच किसी तटस्थ एजेंसी को सौंपी जाए। एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अभी अंतिम चरण में नहीं पहुंची है। यह थोड़ा विलंबित भी हो जाए तो बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन ज्यादा जरूरी उन लोगों को पकड़ना और पूरे गिरोह का पर्दाफाश करना है जो फर्जी अंकपत्र तैयार कर रहे या करा रहे हैं। जिस प्रकार से एक ही विश्वविद्यालय के अंक पत्र बड़ी संख्या में फर्जी मिल रहे हैं, वह इस ओर भी इशारा करता है कि इसमें कोई संगठित गिरोह संलग्न हो सकता है। संभव हो कि एलटी ग्रेड शिक्षकों ही नहीं अन्य भर्ती परीक्षाओं में भी फर्जीवाड़ा किया गया अथवा किया जा रहा हो। अनुदेशक भर्ती परीक्षा सहित कई अन्य प्रकरणों में भी लखनऊ विश्वविद्यालय के अंकपत्रों में फर्जीवाड़ा मिल चुका है। यह उन लाखों बेरोजगारों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है जो मेहनत से पढ़ाई कर नौकरी की आस में ठोकरें खा रहे हैं।
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